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सीमा की रखवाली करने वाला जवान ऐसे बना था IAS अफसर, बेमिसाल है संघर्ष की कहानी

नई दिल्ली. हर शख्स सफलता का सपना देखता है लेकिन उस सफलता का स्वाद चखने के लिए बहुत कम लोग ही मेहनत करते हैं। कहते हैं नो पेन नो गेन। ऐसे ही एक नौजवान ने देश की सुरक्षा करते-करते भी अपने उस सपने को साकार किया जिसे वो मन के भीतर जी रहा था। हम आपको बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के एक जवान की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसने सीमा पर तैनात रहकर आईएएस बनकर दिखाया।  

Asianet News Hindi | Updated : Jan 24 2020, 03:49 PM
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इस जवान ने देश की सीमा पर तैनात रहते हुए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी की। न सिर्फ तैयारी की बल्कि लगन और कड़ी मेहनत से सफल होकर भी दिखाया। बीएसफ जवान हरप्रीत सिंह ने अपनी ड्यूटी निभाते हुए बचे समय में पढ़ाई की और पांचवीं कोशिश में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए सफल हो गए। इतना ही नहीं, उन्होंने देश के टॉप 20 में जगह बनाई।
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हर प्रीत ने ग्रीन ग्रोव पब्लिक स्कूल से पढ़ाई करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स में बीई डिग्री ली। हरप्रीत के पिता बिजनेसमैन और मां टीचर हैं। उन्हें नौकरी तो मिल गई लेकिन सपना अफसर बनने का था। (फाइल फोटो)
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हरप्रीत सिंह ने बताया, 'साल 2016 में मैंने एक असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) ज्वाइन किया। यहां तक यूपीएससी के जरिए ही पहुंचा। फोर्स ज्वाइन करने के बाद मेरी पोस्टिंग भारत और बांग्लादेश की सीमा कर हो गई। सीमा पर मेरी ड्यूटी मुझे अच्छी लगती थी। मैं अपने उस मुश्किल काम को पसंद भी करता था, लेकिन मेरा सपना आईएएस ऑफिसर बनना था। इसलिए सीमा पर ड्यूटी के बाद समय निकाल कर मैं अपने इस लक्ष्य की तैयारी में जुट जाता था।'
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हरप्रीत कहते हैं, 'मेरा लक्ष्य मेरे दिमाग में साफ था। इसलिए कोई भी चीज मुझे इससे भटका नहीं पाई। ड्यूटी के अलावा अपना सारा समय मैंने अपने नोट्स पढ़ने में लगाया और पांचवी बार में सफलता हासिल की। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मेरा वैकल्पिक विषय था। दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत, इन दो बातों को ही मैं अपनी सफलता का मूल मंत्र मानता हूं। मुझे लगता है कि हमें कभी अपने सपने का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे ये कितना भी मुश्किल क्यों न हो। कोशिश करते रहो।' (फाइल फोटो)
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लुधियाना (पंजाब) के रहने वाले हरप्रीत ने इससे पहले इंडियन ट्रेड सर्विस (ITS) के लिए भी क्वालिफाई किया था। बताते हैं कि 'साल 2017 में भी मैंने सिविल सेवा की परीक्षा दी थी। तब मुझे 454वीं रैंक मिली थी और मेरा चयन इंडियन ट्रेड सर्विस के लिए हुआ था।
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तब मैंने बीएसएफ छोड़कर आईटीएस ज्वाइन कर लिया। 2018 में मैंने पांचवीं बार सिविल सेवा की परीक्षा दी। इस बार मुझे 19वीं रैंक मिली और मेरा सपना पूरा हो गया।'
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आज वे आईएएस अफसर के पद पर तैनात हैं और देश की सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं। हरप्रीत का कहना है कि अपने बड़े सपने को पूरा करने के लिए छोटे-छोटे काम करते रहना चाहिए। हालांकि उन्होंने बीएसएफ जवान के तौर पर अपने काम को काफी पसंद किया।
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