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गरीबी झेल चाय वाले की बेटी बनी फाइटर पायलट, नेपोटिज्म को मुंह चिढ़ा सच्ची सिपाही ने कड़ी मेहनत से पाई सफलता
करियर डेस्क. Anchal Gangwal Success Story: रविवार को पूरे देश में फादर्स डे मनाया गया था। पिता के बलिदान और मजबूत कांधों की सैकड़ों कहानियां सामने आईं। लोगों ने पिता के अटूट प्यार और सपोर्ट के लिए धन्यवाद किया। इसके बीच रविवार को एक चाय वाले की बेटी ने फाइटर पायलट पिता को नायाब तोहफा दिया। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के चायवाले सुरेश गंगवाल की बेटी ने आंचल गंगवाल (Aanchal Gangwal) ने ये इतिहास रचा है। इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) में फ्लाइंग ऑफिसर बनकर आंचल सोशल मीडिया पर क्वीन बनकर छा गई हैं। आंचल कहती हैं कि वो मातृभमि की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहेंगी। नेपोटिज्म की बहस के बीच देखिए कैसे सच्ची सिपाही आंचल गरीबी और सुविधाएं को अभाव में भी जी-जान से सपना पूरा करने जुटी रहीं। पिता ने बेटी के विश्वास को कायम रखा और पूरा सपोर्ट दिया।
हम इस स्टोरी में एमपी की इस होनहार बिटिया के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं जो देश के सैकड़ों युवाओं और बेटियों के लिए प्रेरणात्मक रहेगी-
| Published : Jun 22 2020, 04:17 PM IST / Updated: Jun 22 2020, 05:17 PM IST
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आंचल के पिता मध्य प्रदेश के नीमच में चाय की एक छोटी सी दुकान लगाते हैं। पिता को अपनी बेटी पर बहुत गर्व है। आंचल ने हैदराबाद में एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के हाथों दीक्षांत परेड में ये उपलब्धि हासिल की। आंचल के पिता सुरेश गंगवाल की नीमच सिटी रोड पर रोडवेज बस स्टैंड पर चाय की गुमटी है। उन्होंने सड़कों पर चाय बेचकर आसमान में जाने बेटी आंचल के सपनों को उड़ान दी। आंचल के परिवार में पिता सुरेश गंगवाल, मां बबिता, भाई चंद्रेश (इंदौर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर) व बहन दिव्यानी (वॉलीबॉल खिलाड़ी) हैं।
गंगवाल परिवार मूल रूप से जिले के जावद विकासखंड के गांव तारापुर-उम्मेदपुरा का रहने वाला है। आंचल अपने पिता को अपना आदर्श मानती हैं। उनकी मेहनत को उनके आदर्श को प्रणाम करती है। आंचल शुरू से ही प्रतिभावान छात्रा रही है, उन्होंने जो सोचा वो पाया। आंचल पूर्व में लेबर इंस्पेक्टर के रूप में सेवारत थीं। आंचल को उत्तराखंड में भीषण त्रासदी के वक्त मन में देश की सेवा का एयर फोर्स में जाकर करने की सोची।
आंचल ने 6 बार परीक्षा दी थी जिसमें छठी बार सफलता मिली। 7 जून को परिणाम के आते ही जो खुशी उसके परिवार को मिली उसे कोई बयां नहीं कर सकता। तब आंचल को हर जगह सम्मानित किया गया और 30 जून 2018 को अपने सपनों की उड़ान को हैदराबाद पहुंच गई।
रविवार को आंचल ने हैदराबाद में एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के हाथों दीक्षांत परेड में ये उपलब्धि पायी। हालांकि उनके परिवार की इच्छा उनके आंखों के सामने बिटिया को सम्मानित होते हुए देखने की कोरोना की बंदिशों के कारण नहीं हो सकी। आंचल कहती हैं कि वो शुरू से ही एक फाइटर बनना चाहती थीं। जब वो स्कूल में थीं, तभी उन्होंने फैसला कर लिया था कि वो डिफेंस में जाएंगी। आंचल ने कहा कि आज जब मैं ऑफिसर बन गई हूं तो सब असली लग रहा है। यह एक सपने के सच होने जैसा है। आंचल के लिए एयरफोर्स ऑफिसर बनने का दिन बहुत ही खास था, लेकिन इस खास मौके पर उनके माता-पिता वहां मौजूद नहीं थे।
20 जून को हैदराबाद के डंडीगल वायु सेना अकादमी में कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड आयोजित किया था। भारतीय वायु सेना के चीफ बीकेएस भदौरिया की उपस्थिति में शनिवार को आंचल गंगवाल को एक फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में कमीशन मिला। आंचल गंगवाल इस परेड में मार्च पास्ट कर रही थी। मार्च पास्ट के बाद आंचल गंगवाल को राष्ट्रपति पट्टिका से सम्मानित किया गया। इस समारोह के लिए फ्लाइंग ऑफिसर आंचल गंगवाल के माता-पिता को भी जाना था, लेकिन कोरोना माहामारी की वजह से नहीं जा सके।
आंचल ने कहा कि मैं लगभग हर रात इस दिन का सपना देखती थी। अपने माता-पिता के सामने इस यूनिफॉर्म में खड़ी हो सकूं, जिन्होंने मुझे यहां तक पहुंचाने के लिए हर कठिनाई का सामना किया। गरीबी और सुविधाओं के अभाव में भी अपने जुनून को नहीं हारने दिया। मैं खुश हूं कि वो टेलीविजन पर परेड सेरेमनी को देख पाए। आंचल कहती हैं कि कभी भी उनके माता-पिता ने इस बात पर संदेह नहीं किया कि एक लड़की कैसे एयरफोर्स में शामिल होने के अपने सपने को पूरा करेगी। आंचल ने कहा कि जब मैंने अपने माता-पिता को अपने डिफेंस में जाने की बात बताई तो उन्हें थोड़ी सी चिंता हुई। पर उन्होंने कभी भी मुझे रोकने की कोशिश नहीं की। इतना ही नहीं, वो हमेशा मेरी जिंदगी में एक ढाल बनकर खड़े रहे।
वहीं जब आंचल के पिता सुरेश गंगवाल ने बेटी को टीवी पर मार्च पास्ट करते हुए देखा तो वह अपने आंसू रोक नहीं पाए। वो आंचल के फ्लाइट ऑफिसर बनने से काफी खुश हैं। उनका कहना है कि फादर्स डे के मौके पर इससे अच्छा तोहफा और क्या हो सकता है। सुरेश गंगवाल ने कहा कि आंचल शुरू से पढ़ाई में अच्छी रही है. उसने बोर्ड परीक्षा में 92 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त किए थे। उन्होंने बताया कि एयरफोर्स में जाने की सबसे बड़ी प्रेरणा आंचल को तब मिली जब साल 2013 में उत्तराखंड में त्रासदी आई थी। उत्तराखंड में एयरफोर्स ने जिस तरह बहादुरी के साथ काम किया, उससे वह काफी प्रेरित हुईं और इंडियन एयरफोर्स ज्वॉइन करने की ठान ली।
आंचल गंगवाल का एयरफोर्स में चयन 7 जून 2018 को हुआ था। आंचल ने 5 बार इंटरव्यू बोर्ड का सामना किया था और असफलता हाथ लगी। छठवीं प्रयास में उसे सफलता हाथ लगी थी। आंचल उस साल देश भर की उन 22 प्रतिभागियों में शामिल थी, जिसका चयन इस पद के लिए हुआ था।
केदारनाथ त्रासदी के दौरान आंचल ने फोर्स ज्वाइन करने का फैसला किया था। उस वक्त वह 12वीं में पढ़ रही थी। आंचल शुरू से ही मेहनती थी, पहले एमपी में उसे पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली थी, कुछ दिन बाद वह नौकरी छोड़ दी। फिर आंचल का चयन लेबर इंसपेक्टर के रूप में हुआ। लेकिन उसका मकसद फोर्स में जाना था। इसलिए आगे चलकर वह लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी भी छोड़ दी। आंचल कहती हैं कि वो मातृभूमि की सेवा करने हमेशा तैयार रहेंगी। बता दें कि आंचल की इस कामयाबी के बाद से बधाई देने वालों का उनके घर तांता लग गया। आंचल पूरे देश में हजारों युवाओं की प्रेरणा बन गई हैं। उनके जज्बे और देश सेवा की भावना के लोग कायल हो गए हैं।