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इन बातों का रखना होगा खास ख्याल, नहीं तो पैसों से जुड़े लेन-देन के मामलों में हो सकती है परेशानी
बिजनेस डेस्क। कोरोना संकट के इस दौर में लोग कई तरह की परेशानी झेल रहे हैं। ज्यादातर लोग रुपए-पैसों की तंगी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में, समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से लेकर कई मामलों में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे उन्हें पैसों के लेन-देन से जुड़े मामलों में सहूलियत हो। जानें सरकार ने किन नियमों में किया है बदलाव।
(फाइल फोटो)
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बचत योजनाओं की ब्याज दरों में बदलाव नहीं
छोटी बचत योजना जैसे सुकन्या, पीपीएफ, राष्ट्रीय बचत पत्र समेत दूसरी योजनाओं की ब्याज दरों में केंद्र सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया है। इन योजनाओं में मिलने वाली ब्याज दरों में हर 3 महीने पर बदलाव किया जा सकता है। सरकार ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब है कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स स्कीम (NSC) और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) जैसी योजनाओं पर पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा
(फाइल फोटो)
कितनी मिलेगी ब्याज दर
पीपीएफ (PPF) पर 7.1 फीसदी और एनएससी (NSC) पर 6.8 फीसदी सालाना ब्याज दर बनी रहेगी। वहीं, 5 साल वाली सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) पर ब्याज दर 7.4 फीसदी रहेगी। बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) पर ब्याज दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 7.6 फीसदी रहेगी। किसान विकास पत्र (KVP) पर सालाना ब्याज दर 6.9 प्रतिशत होगी। 1 से 5 साल के लिये फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम (FD) में ब्याज दर 5.5 से 6.7 फीसदी के बीच होगी। वहीं, 5 साल के लिए रिकरिंग (RD) जमा पर ब्याज दर 5.8 फीसदी रखी गई है।
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पहले की तरह मिलेगा ब्याज
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स स्कीम (NSC) और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) जैसी योजनाओं पर पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा
इनकम टैक्स रिटर्न
अगर आप किसी साल इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना भूल जाते हैं तो बाद में रिटर्न भर सकते हैं। इसे बिलेटेड ITR कहते हैं। पहले इसे भरने के लिए 2 साल का समय मिलता था, लेकिन अब इस पर पेनल्टी लगा दी गई है। रिवाइज्ड ITR कोई टैक्सपेयर तब फाइल करता है, अगर उससे ऑरिजनल टैक्स रिटर्न फाइल करते समय कोई चूक हो जाती है। इसमें डिडक्शन का क्लेम भूल जाना, इनकम या बैंक अकाउंट संबंधी गलतियां शामिल हैं। इसे लेकर सरकार ने बड़ा फैसला किया है।
(फाइल फोटो)
बढ़ाई गई समय सीमा
अगर आपने अब तक अपना रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न (Revised ITR) या बिलेटेड रिटर्न (Belated ITR) नहीं भरा है तो आपके पास अभी भी मौका है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसकी डेडलाइन को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया है। पहले यह डेडलाइन 30 सितंबर को खत्म हो चुकी थी। अब वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2018-19, दोनों के लिए ही इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की समय सीमा 30 नवंबर, 2020 हो गई है।
(फाइल फोटो)
हेल्थ इन्श्योरेंस पॉलिसी
हेल्थ इन्श्योरेंस पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया गया है। इन्श्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDAI) की गाइडलाइन्स के मुताबिक, प्रीमियम का भुगतान किस्तों में किया जा सकता है। इसे 6 महीने, 3 महीने या मासिक आधार पर जमा किया जा सकता है। अगर किसी को 12 हजार रुपए सालाना प्रीमियम देना है, तो इसे किस्तों में दिया जा सकता है। 8 साल लगातार पूरे होने के बाद हेल्थ इन्श्योरेंस क्लेम को नकारा नहीं जा सकता है, अगर कोई फ्रॉड साबित नहीं हुआ हो।
(फाइल फोटो)
क्लेम का सेटलमेंट
बीमा कंपनी को किसी क्लेम को आखिरी जरूरी दस्तावेज की रसीद की तारीख से 30 दिन में क्लेम का सेटलमेंट या रिजेक्शन करना होगा। क्लेम के भुगतान में देर होने पर बीमा कंपनी को पॉलिसी धारक को आखिरी जरूरी दस्तावेज की रसीद की तारीख से ब्याज देना होगा। यह बैंक रेट से 2 फीसदी ज्यादा होगा। रेग्युलेटरी बॉडी ने जो गाइडलाइन्स जारी की है, उनके तहत कई बीमारियों पर एक रेग्युलर हेल्थ इन्श्योरेंस पॉलिसी के तहत कवर देना होगा, जिन्हें अब तक बाहर रखा गया है। इनमें उम्र से संबंधित डिजनरेशन, मानसिक बीमारियां और जेनेटिक बीमारियों को कवर किया जाएगा।
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बैंकों में धोखाधड़ी
बैंक में धोखाधड़ी के मामले बढ़ने के साथ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड को सुरक्षित करने के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। आपके कार्ड पर अब सिर्फ घरेलू ट्रांजैक्शन ही हो सकेगा। विदेश जाने से पहले वहां कार्ड से लेन-देन करने के लिए बैंक से मंजूरी लेनी होगी। इसके अलावा, ट्रांजैक्शन लिमिट भी तय किया जा सकता है।
विदेश में पैसे भेजने पर
केंद्र सरकार ने विदेश में पैसे भेजने पर टैक्स वसूलने से जुड़ा नया नियम बनाया है। यह नियम 1 अक्टूबर 2020 से लागू हो गया है। अब अगर आप विदेश में पढ़ रहे अपने बच्चे के पास पैसे भेजते हैं या किसी रिश्तेदार की आर्थिक मदद करते हैं तो रकम पर 5 फीसदी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS-ax Collected at Source) का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। फाइनेंस एक्ट, 2020 (Finance Act 2020) के मुताबिक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत विदेश पैसे भेजने वाले व्यक्ति को टीसीएस देना होगा। एलआरएस के तहत 2.5 लाख डॉलर सालाना तक भेजा जा सकता है। इस पर कोई टैक्स नहीं लगता था। लेकिन अब इस पर टीसीएस देना होगा।
(फाइल फोटो)