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Budget 2021 : इनकम टैक्स को लेकर जानें बजट से क्या है लोगों की उम्मीदें, कोरोना की वजह से कम हैं विकल्प
बिजनेस डेस्क। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं, लेकिन कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) की वजह से देश आर्थिक मंदी का सामना करना रहा है और सरकार के सामने विकल्प कम हैं। कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाए जाने के चलते देश में आर्थिक मोर्चे पर ठहराव आ गया। इससे सरकार को राजस्व की कमी हुई है। ऐसी स्थिति में सरकार लोगों को कहां तक राहत दे सकेगी, यह कहना मुश्किल है। आम लोगों को उम्मीद है कि इस बजट में सरकार इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ा सकती है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स में कटौती की संभावना बहुत कम है। इस बजट में कोविड-19 सेस लगाया जा सकता है। जानें, इस बजट में सरकार क्या घोषणाएं कर सकती हैं। (फाइल फोटो)
| Updated : Jan 26 2021, 01:17 PM
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केंद्र सरकार इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी, सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स की अधिकतम सीमा को बढ़ा सकती है। इससे सरकार की लंबे समय के लिए निर्धारित दर पर फंड की जरूरत भी पूरी हो सकती है। (फाइल फोटो)
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कोरोना वायरस (Covid-19) के संक्रमण की वजह से ज्यादा खर्च का सामना कर रहे लोगों को बजट में राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार बजट में कोराना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने पर आए खर्चों को टैक्स डिडक्शन में शामिल किए जाने की मंजूरी दे सकती है। (फाइल फोटो)
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अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार बजट में अलग कैटेगरी में टैक्स सेविंग बॉन्ड्स ला सकती है। यह बॉन्ड कोविड के नाम पर भी हो सकता है। इन बॉन्ड्स पर सरकार टैक्स डिडक्शन की सुविधा दे सकती है। (फाइल फोटो)
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विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए सरकार कम्प्लॉयंस घटा सकती है। इसके अलावा, नॉन-रेजिडेंट इन्वेस्टमेंट के लिए अलग से टैक्स इन्सेटिव्स की घोषणा भी की जा सकती है। (फाइल फोटो)
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इम्प्लॉयर्स को दिए गए वर्क फ्रॉम होम अलाउंसेस और रिइम्बर्समेंट इम्प्लॉई के लिए नॉन-टैक्सेबल हो सकते हैं। इसे इम्प्लॉयर के लिए कारोबारी खर्च के तौर पर दिखाने की मंजूरी मिल सकती है। (फाइल फोटो)
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वित्त मंत्री बजट में दोबारा सिंगल टैक्स स्लैब लाने पर विचार कर सकती हैं। इसके तहत 7.5 लाख रुपए से कम की आय को टैक्स फ्री घोषित किया जा सकता है। (फाइल फोटो)
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बजट में डेट-ओरिएंटेड ग्रोथ और म्यूचुअल फंड्स से हुए कैपिटल गेन्स को लेकर होल्डिंग पीरियड को कम करने पर विचार किया जा सकता है। बजट में इसे 36 महीने से घटाकर 12 महीने किया जा सकता है। (फाइल फोटो)