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इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में नहीं होंगी ये गलतियां तो जल्दी मिलेगा रिफंड, जानें इनके बारे में
बिजनेस डेस्क। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के बाद अगर टैक्सपेयर्स का कोई रिफंड बनता है, तो वह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) के बेंगलुरु स्थित सेंट्रलाइज्ड प्रॉसेसिंग सेंटर (CPC) से मिलता है। सीपीसी से रिफंड की प्रॉसेसिंग पूरी तरह ऑटोमेटेड होती है। कई बार रिफंड टैक्स रिटर्न फाइल करने के एक हफ्ते के भीतर ही मिल जाता है। टैक्स अथॉरिटी के पास टैक्सपेयर्स से जुड़ी कई जानकारियां, जैसे इम्प्लॉयर की विदहोल्डिंग डिटेल और बैंक की ओर दिए गए इंटरेस्ट डिटेल वगैरह होते हैं। अगर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में कुछ गलतियां हो जाती हैं, तो टैक्स रिफंड आने में देर होती है। इसलिए इनके बारे में जानना जरूरी है। (फाइल फोटो)
| Published : Jan 17 2021, 01:37 PM
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इनकम टैक्स अथॉरिटीज के पास कैपिटल गेन्स और डिविडेंड के रूप में मिली इनकम की जानकारी भी एक्सेस करने की व्यवस्था होती है। सीपीसी (CPC) की ओर से टैक्स रिफंड में देर की मुख्य वजह टैक्स रिटर्न में दी गई जानकारियों में मिसमैच होता है। ऐसे में, जरूरी है कि जब भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया जाए तो इन गलतियों से बचना चाहिए, ताकि रिफंड मिलने में देर नहीं हो। (फाइल फोटो)
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा तय की गई नई प्रक्रिया के मुताबिक, अब इनकम टैक्स रिफंड को सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक तौर पर जारी किया जा रहा है। इसका मतलब है कि रिफंड सीधे टैक्सपेयर के बैंक अकाउंट में आएगा। ऐसे में, अगर टैक्स फॉर्म में भरा गया बैंक अकाउंट नंबर गलत है, तो टैक्स रिफंड में देर होगी। इसलिए अकाउंट से संबंधित जानकारी भरते समय सावधानी जरूरी है। इसे एक-दो बार चेक कर लेना चाहिए। (फाइल फोटो)
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अगर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में कोई गड़बड़ी हो गई हो, तो इसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन ठीक किया जा सकता है। इसके साथ यह भी जरूरी है कि जो बैंक अकाउंट नंबर आप दे रहे हैं, वह परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) से लिंक होना चाहिए। (फाइल फोटो)
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इनकम टैक्स रिफंड हासिल करने के लिए बैंक अकाउंट को प्री-वैलिडेट करना होता है। इसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर किया जा सकता है। इस प्रॉसेस को पूरा करने के लिए अपने पैन (PAN) और पासवर्ड को डालना होगा और इसके बाद प्रोफाइल सेटिंग्स में जाना होगा। वहां बैंक अकाउंट को प्री-वैलिडेट करने का ऑप्शन मिलता है। (फाइल फोटो)
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अगर आपका बैंक ई-फाइलिंग पोर्टल के साथ इंटिग्रेटेड है, तो प्री-वैलिडेशन इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) और नेट बैंकिंग के जरिए करना होगा। इसके लिए बैंक अकाउंट नंबर, IFSC कोड, उस अकाउंट से लिंक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी देना होता है। (फाइल फोटो)
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इनकम टैक्स रिफंड फाइल करने की प्रॉसेस सिर्फ तभी पूरी होती है, जब इनकम टैक्स रिटर्न को वेरिफाई किया जाता है। ऐसा नहीं करने पर रिफंड प्रॉसेस पूरी नहीं होगी और फिर टैक्स रिफंड में देर होगी। (फाइल फोटो)
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इसलिए अगर आपको अपना इनकम टैक्स रिफंड जल्दी हासिल करना हो, तो इस पर ध्यान देना जरूरी है कि आईटीआर फाइलिंग के दौरान किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई हो। वहीं, अगर कोई गलती रह जाती है, तो उसे सुधारने का ऑप्शन भी मौजूद है। (फाइल फोटो)