हर महीने हो सकती है 9 हजार रुपए से ज्यादा की इनकम, जानें कहां लगाएं पैसा
बिजनेस डेस्क। पिछले कुछ समय से बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम्स में मिलने वाले ब्याज की दरों में गिरावट आई है। बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम्स उन लोगों की नियमित आय का एक बेहतरीन जरिया रही हैं, जो रिटायर हो चुके हैं। इनकी ब्याज दरों में गिरावट आने से रिटायर हो चुके लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके बावजूद इस समस्या का समाधान संभव है। कैश फ्लो को बनाए रखने के लिए अलग-अलग स्कीम्स में इन्वेस्ट करने का ऑप्शन अपनाना चाहिए। यहां हम बताने जा रहे हैं एक बेस्ट ऑप्शन, जहां निवेश कर के अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है।
(फाइल फोटो)
| Published : Aug 18 2020, 10:29 AM IST / Updated: Aug 18 2020, 10:32 AM IST
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सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम
यह स्कीम सिर्फ सीनियर सिटिजंस के लिए ही चलाई जाती है। यह सरकार की ओर से चलाई जाने वाली बचत योजना है। इस योजना में हर महीने आय हासिल की जा सकती है। इस योजना में निवेश के लिए बैंकों के अलावा पोस्ट ऑफिस में भी खाता खोला जा सकता है। इस स्कीम में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोग निवेश कर सकते हैं। वे लोग भी इस योजना में निवेश कर सकते हैं, जिनकी उम्र 55 साल की है और जिन्होंने वॉलियन्टरी रिटायरमेंट ले ली है।
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इस योजना की खासियत
सीनियर सिटिजंस स्कीम में निवेश 5 साल के लिए किया जाता है। इसे सिर्फ एक बार 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसमें अभी 7.4 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है। हर तिमाही पर ब्याज दर बदलती रहती है, लेकिन एक बार निवेश करने के बाद रेट वही रहता है। इस योजना में अधिकतम निवेश 15 लाख रुपए किया जा सकता है।
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क्या मेच्योरिटी से पहले हो सकती है निकासी
खाता खोलने के एक साल बाद निकासी का प्रावधान है, लेकिन इसमें पेनल्टी लगती है। एक साल के बाद अकाउंट बंद करने पर निवेश की गई रकम के 1.5 फीसदी के बराबर पेनल्टी लगती है। वहीं, 2 साल बाद खाता बंद करने पर पेनल्टी 1 फीसदी लगती है।
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रिटायरमेंट के 3 महीने के भीतर निवेश जरूरी
इस अकाउंट में रिटायरमेंट के 3 महीने के भीतर निवेश करना जरूरी है। पति-पत्नी के नाम जॉइंट खाता खोल कर अलग-अलग 15 लाख निवेश कर लाभ को बढ़ाया जा सकता है। इसमें हर 3 महीने पर 27,750 रुपए का ब्याज मिलेगा।
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क्या लगेगा टैक्स
इस योजना में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है। निवेश की गई राशि पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80 C के तहत टैक्स में छूट का क्लेम किया जा सकत है। इस पर टीडीएस भी लगता है।
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