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सच्चे प्यार की तलाश में ताउम्र भटकती रही ये एक्ट्रेस, मरते वक्त नहीं बचे थे इलाज तक के पैसे

1 अगस्त, 1933 को दादर (मुंबई) में जन्मीं मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था। 

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Asianet News Hindi
Published : Aug 01 2019, 01:33 PM IST | Updated : Aug 01 2019, 01:37 PM IST
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मुंबई। बॉलीवुड की ट्रेजडी क्वीन कहलाने वालीं मीना कुमारी का 1 अगस्त को 86वां बर्थडे है। 1933 में दादर (मुंबई) में जन्मीं मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था। वैसे, उनकी असल जिंदगी भी काफी ट्रैजिक रही। 1951 में फिल्म 'तमाशा' के सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात डायरेक्टर कमाल अमरोही से हुई। इसके बाद अगले ही साल दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद कमाल ने मीना कुमारी को फिल्मों में काम करने से तो नहीं रोका, लेकिन वो उन पर शक करते थे, जिसके चलते कई पाबंदियां लगी दी थीं। असिस्टेंट से करवाते थे मीना कुमारी की जासूसी...
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कमाल अमरोही की शर्त थी कि मीना कुमारी के मेकअप रूम में कोई मर्द नहीं जाएगा। इसके साथ ही वो शाम 6.30 बजे तक अपनी कार से घर लौट आएंगी। मीना ने सभी शर्तें मान ली थीं लेकिन कई बार वो घर आने में लेट हो जाती थीं। शक होने पर कमाल ने अपने असिस्टेंट बकर अली को मीना की जासूसी पर लगा दिया। मार्च, 1964 में फिल्म 'पिंजरे के पंछी' के मुहूर्त पर मीना कुमारी के मेकअप रूम में गुलजार पहुंच गए थे। इस पर बकर अली ने मीना कुमारी को तमाचा मार दिया था। गुलजार ने एक इंटरव्यू में बताया था- "मीना और कमाल के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था। वो मुझसे सारी बातें शेयर करती थीं। बस एक दिन हालात ऐसे बने कि कमाल को गलतफहमी हो गई और फिर दोनों के रिश्ते बिगड़ते चले गए।" बाद में 1964 में दोनों का तलाक हो गया।
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तलाक के बाद मिला धर्मेंद्र का सहारा, लेकिन... पति कमाल अमरोही से सेपरेशन के बाद मीना कुमारी की नजदीकियां धर्मेंद्र (शादीशुदा) से बढ़नी शुरू हुई थीं। उस वक्त मीना टॉप की स्टार थीं, जबकि धर्मेंद्र एक स्ट्रगलिंग एक्टर थे। मीना कुमारी ने उनके करियर को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया। कहा जाता है कि मीना कुमारी ने 1966 में आई फिल्म 'फूल और पत्थर' में धर्मेन्द्र को लेने की सिफारिश की थी। बाद में यह फिल्म उस साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई और धर्मेन्द्र इंडस्ट्री में पूरी तरह स्टेबलिश हो गए। धर्मेन्द्र और मीना कुमारी का रिश्ता करीब 3 साल तक चला और गुजरते वक्त के साथ धर्मेंद्र भी कमाल अमरोही की तरह मीना से दूर हो गए। इसके बाद धर्मेंद्र के धोखे से उनका दिल ऐसा टूटा कि उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया।
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सच्चे प्यार की तलाश में भटकती रहीं मीना... भले ही मीना कुमारी के लाखों फैन्स थे, लेकिन मीना ने जिसे चाहा, वो कभी उनके प्यार को नहीं समझ सका। धर्मेन्द्र से मिली बेवफाई के बाद मीना कुमारी शराब पीने लगीं। यहां तक कि वो अपने पर्स में भी शराब की छोटी बोतल रखा करती थीं। शराब की वजह से मीना कुमारी की तबीयत बिगड़ती चली गई और उन्हें लिवर सिरोसिस हो गया।
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मरते वक्त नहीं बचे थे इलाज तक के पैसे... कई फिल्मों में काम करने और जीते-जी लीजेंड्री एक्ट्रेस का दर्जा हासिल करने के बावजूद आखिरी वक्त में उनके पास इलाज तक के पैसे नहीं बचे थे। 31 मार्च, 1972 को जब उनका निधन हुआ तो सवाल खड़ा हो गया कि हॉस्पिटल का बिल कैसे दिया जाएगा। कहा जाता है कि मीना कुमारी के किसी फैन ने बाद में इलाज का बिल चुकाया था। दुख की बात ये भी थी कि हॉस्पिटल में उन्हें देखने कमाल अमरोही भी नहीं आए जो उनके तलाकशुदा पति थे, जबकि बीमारी की हालत में भी मीना कुमारी ने उनकी अधूरी पड़ी फिल्म 'पाकीजा' में काम किया था।
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मीना कुमारी की मौत के बाद हिट हुई थी ‘पाकीजा’ फ़िल्म ‘पाकीजा’ 4 फरवरी, 1972 को रिलीज़ हुई और अगले महीने 31 मार्च, 1972 को मीना कुमारी का निधन हो गया था। दिलचस्प बात ये है कि रिलीज के बाद 'पाकीजा' फ्लॉप मानी जा रही थी, लेकिन मीना कुमारी के गुजर जाने के बाद फिल्म सुपरहिट साबित हुई। मीना कुमारी की फिल्म 'साहिब, बीवी और गुलाम' (1962) भी हिट रही थी। इस फ़िल्म में मीना कुमारी ने ‘छोटी बहू’ के किरदार को जिंदा कर दिया। इसी साल उन्हें 'आरती', 'मैं चुप रहूंगी' और 'साहिब, बीवी और गुलाम' के लिए फ़िल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड के तीन नॉमिनेशन मिले। 'परिणीता' (1953), 'दायरा'(1953), 'एक ही रास्ता' (1956), 'शारदा' (1957), 'दिल अपना और प्रीत पराई' (1960), 'दिल एक मंदिर' (1963), 'काजल' (1965) और 'फूल और पत्थर' (1966) उनकी चुनिंदा हिट फिल्में हैं।

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