MalayalamEnglishKannadaTeluguTamilBanglaHindiMarathi
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • खेल
  • फोटो
  • गेम्स
  • वीडियो
  • वायरल
  • KEA 2025
  • Home
  • States
  • Bihar
  • 'चाचा' ने फिर तोड़ा NDA से नाता! 11 फोटो में जानिए लालू-नीतीश की बेमेल जोड़ी के रिश्ते कब-कब बने और कैसे टूटे

'चाचा' ने फिर तोड़ा NDA से नाता! 11 फोटो में जानिए लालू-नीतीश की बेमेल जोड़ी के रिश्ते कब-कब बने और कैसे टूटे

पटना। नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए। अक्सर राजद सरकार को जंगलराज का पर्याय बताने वाले नीतीश एक बार फिर लालू के साथ अपनी बेमेल जोड़ी को जोड़ने के लिए एक हुए हैं। नीतीश बिहार की सियासत में पलटी मारते रहे हैं। यह उनका खास अंदाज है। कभी अकेले खड़े नहीं हो सके और हमेशा दूसरे के सहारे चलने वाले नीतीश इसी के बूते 24 नवंबर 2005 से अब तक इस कुर्सी पर जमे हैं। 2017 में एनडीए से अलग होकर जदयू चुनाव में उतरी, तो उसकी हालत ऐसी हो गई कि सिर्फ दो सीट आई। बदहाली देखकर सीएम पद से इस्तीफा दिए और अपने ही मंत्री जीतनराम मांझी को कुर्सी पर बिठा गए। सोचा मांझी कठपुतली रहेंगे, मगर कुर्सी पाते ही मांझी के रंग-ढंग बदल गए। तब नीतीश ने फिर 22 फरवरी 2015 को कुर्सी छीन ली और तब से कभी इसके तो कभी उसके साथ मिलकर सीएम पद पर जमे हैं। आइए तस्वीरों के जरिए राजद के साथ उनके रिश्तों पर नजर डालते हैं। 

Asianet News Hindi | Updated : Aug 10 2022, 06:15 AM
3 Min read
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • Google NewsFollow Us
111
Asianet Image

बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन मंगलवार को एक बार फिर टूट गया। नीतीश कुमार एक बार फिर पुराने सहयोगी लालू यादव के साथ अपनी बेमेल जोड़ी को जोड़ने का प्रयास करेंगे। सियासत में उनके विचार और रुख हमेशा बदलते रहे और इसी वजह से करीब 18 साल से सीएम की कुर्सी पर टिके हैं। 

211
Asianet Image

सबसे पहले नीतीश कुमार ने 1994 में अपने संघर्ष के दिनों के साथी लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़ दिया था। तब लोग नीतीश के इस कदम से काफी हैरान हुए, मगर तब शायद उन्हें पता नहीं था बिहार की सियासत के 'चाचा' कहे जाने वाले नीतीश आने वाले समय में ऐसे ही गुलाटियां मारते रहेंगे। 

311
Asianet Image

जॉर्ज फर्नांडीज के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई। अगले साल यानी 1995 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मेहनत की, मगर चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि अभी और ज्यादा सीखने की जरूरत है। बहरहाल, भाजपा के साथ मिले और तब से अब तक यह दोस्ती लगभग अलग-अलग चरणों में 17 साल तक रही। 

411
Asianet Image

2003 में समता पार्टी टूट गई और नए दल जनता दल यूनाइटेड का गठन हुआ, जो अब तक चल रहा है। नीतीश और भाजपा की दोस्ती में दरार पहली बार 2013 में आई, जब अगले साल यानी 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया गया। 

511
Asianet Image

नीतीश कुमार को संभवत: तब नरेंद्र मोदी के नाम से एलर्जी थी। कुछ लोगों का कहना है कि वैचारिक मतभेद थे। मोदी का नाम पसंद नहीं आया, तो गठबंधन तोड़ दिया और इस तरह पहली बार भाजपा तथा जदयू का 17 साल पुराना साथ छूटा। 

611
Asianet Image

भाजपा से नाता तोड़ पुराने दोस्त लालू के पास चले गए। मतलब, अकेले नहीं  चल सके। एक बार फिर सहारा चाहिए था। लालू यादव के साथ मिलकर बिहार में सरकार तो बना ली, मगर अंदर ही अंदर हार का डर सता रहा था, क्योंकि जनता को साथ पसंद नहीं था। 

711
Asianet Image

हुआ भी यही, 2014 के लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड की जबरदस्त हार हुई। पांच साल पहले 2009 में पार्टी के जहां 20 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे, तो 2014 में यह संख्या सिर्फ दो रह गई। हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। 

811
Asianet Image

कुर्सी वे अपने करीबी मंत्री जीतन राम मांझी को सौंप गए, इस उम्मीद में कि वे उनकी बात सुनते रहेंगे, मगर हुआ इसका उल्टा। बहरहाल, किसी तरह समय खिसकता रहा। 2015 में विधानसभा चुनाव हुए। राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर मैदान में उतरे। 

911
Asianet Image

इस बार महागठबंधन जीता और नीतीश कुमार पांचवीं बार सीएम की कुर्सी पर बैठ गए। लालू के छोटे बेटे तेजस्वी उप मुख्यमंत्री बन गए। दो साल बाद 2017 में दरार पड़ी। पिता लालू की  तरह कुर्सी पाते ही तेजस्वी ने भ्रष्टाचार शुरू कर दिया। इस्तीफे का दबाव बनने लगा। 

1011
Asianet Image

तेजस्वी ने इस्तीफा नहीं दिया तो नीतीश के दामन पर दाग लगने लगे। छवि खराब होती देख नीतीश फिर पलटे और 26 जुलाई को इस्तीफा देकर महागठबंधन से अलग हो गए। एक बार सहारा खोजते हुए एनडीए के पास पहुंचे और 27 जुलाई को मदद से सीएम की कुर्सी पर फिर जम गए। 

 

1111
Asianet Image

2020 में बिहार विधानसभा चुनाव तक तो भाजपा और जदयू साथ रहे। साथ मिलकर चुनाव भी लड़े, मगर भाजपा को ज्यादा सीट मिली, तो भी नीतीश ने जिद्द की कि कुर्सी मुझे चाहिए। भाजपा ने दे भी दी। दो साल बाद अब फिर झगड़ा कर लिया और मंगलवार को भाजपा तथा जदयू की राह अलग हो गई। नीतीश कुमार इस बार भी लालू के सहारे पर ही कुर्सी पर बैठने वाले हैं। 

Asianet News Hindi
About the Author
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है। Read More...
नीतीश कुमार
 
Recommended Stories
Top Stories