MalayalamEnglishKannadaTeluguTamilBanglaHindiMarathi
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • खेल
  • फोटो
  • गेम्स
  • वीडियो
  • वायरल
  • KEA 2025
  • Home
  • Religion
  • Spiritual
  • चाणक्य नीति: क्या आप जानते हैं मनुष्य का सबसे बड़ा रोग, शत्रु और मित्र कौन है?

चाणक्य नीति: क्या आप जानते हैं मनुष्य का सबसे बड़ा रोग, शत्रु और मित्र कौन है?

उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने अपने जीवनकाल में कई ग्रंथों की रचना की। चाणक्य नीति भी उनमें से एक है। इस नीति शास्त्र में सुखी और सफल जीवन के लिए कई रहस्य बताए गए हैं। चाणक्य नीति में बताए गए लाइफ मैनेजमेंट के ये सूत्र आज के समय में भी हमें सही रास्ता दिखाते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि मनुष्य का सबसे बड़ा रोग, शत्रु और मित्र कौन है। जानिए…

Asianet News Hindi | Updated : Feb 27 2021, 11:22 AM
2 Min read
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • Google NewsFollow Us
14
Asianet Image

1. काम-वासना के समान दूसरा रोग नही
आचार्य चाणक्य के अनुसार, काम-वासना के समान कोई दूसरा रोग नहीं। जिस व्यक्ति के मन में काम-वासना की भावना हर समय रहती है, उसका मन किसी और कार्य में नहीं लगता और निरंतर सिर्फ वासना के बारे में ही सोचता रहता है। ऐसे लोग दिमागी रूप से बीमार होते हैं। शरीर के रोगों के इलाज संभव है, लेकिन काम-वासना से पीड़ित व्यक्ति का कोई इलाज नहीं है।

24
Asianet Image

2. मोह के समान शत्रु नहीं
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु मोह है, ऐसा आचार्य चाणक्य का कहना है। क्योंकि मोह ही सभी दुखों की मूल जड़ है। जब व्यक्ति किसी के मोह में फंस जाता है तो उसके दुखों से वह स्वयं भी दुखी होने लगता है। व्यक्ति दिन-रात जिस व्यक्ति या वस्तु से मोह है, उसी के बारे में सोचता रहता है।

34
Asianet Image

3. क्रोध के समान आग नहीं
जिस व्यक्ति को छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आ जाता है, वह स्वयं का ही शत्रु होता है। क्रोध की अग्नि बहुत भयंकर होती है। क्रोधी व्यक्ति बिना कुछ सोचे-समझे कुछ भी कर बैठता है, जिसके लिए उसे बाद में पछताना भी पड़ता है। इसलिए कहा गया है क्रोध के समान आग नहीं है।

 

44
Asianet Image

4. ज्ञान से बढ़कर सुख नहीं
जिस व्यक्ति के पास ज्ञान है, उससे सुखी मनुष्य दुनिया में और कोई नहीं। ज्ञान से ही हर दुख का निवारण हो सकता है। ज्ञानी मनुष्य दुनिया के कष्टों से परे होते हैं और निरंतर धर्म-कर्म में लगे रहते हैं। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि ज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं है।

Asianet News Hindi
About the Author
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है। Read More...
 
Recommended Stories
Shakun-Apshakun: दाईं आंख फड़के तो मिलते हैं शुभ फल और बाईं फड़के तो…
Shakun-Apshakun: दाईं आंख फड़के तो मिलते हैं शुभ फल और बाईं फड़के तो…
चाणक्य नीति: इन 4 लोगों से दुश्मनी नहीं दोस्ती रखें, तभी मिलेगी सफलता
चाणक्य नीति: इन 4 लोगों से दुश्मनी नहीं दोस्ती रखें, तभी मिलेगी सफलता
क्यों मिलाते हैं लड़का-लड़की के गुण? कितने गुण मिलने पर होती है शादी?
क्यों मिलाते हैं लड़का-लड़की के गुण? कितने गुण मिलने पर होती है शादी?
Top Stories
Albania PM ने रेड कार्पेट पर घुटनों पर झुककर किया Giorgia Meloni का स्वागत-Video Viral
Albania PM ने रेड कार्पेट पर घुटनों पर झुककर किया Giorgia Meloni का स्वागत-Video Viral
भारत-पाक सीमा पर फिर खुला तणोट माता मंदिर, सेना के जवानों की उमड़ी भीड़
भारत-पाक सीमा पर फिर खुला तणोट माता मंदिर, सेना के जवानों की उमड़ी भीड़
Napalm Girl Photo Controversy: वर्ल्ड प्रेस फोटो ने Nick Ut का क्रेडिट किया सस्पेंड, असली फोटोग्राफर पर छिड़ी बहस
Napalm Girl Photo Controversy: वर्ल्ड प्रेस फोटो ने Nick Ut का क्रेडिट किया सस्पेंड, असली फोटोग्राफर पर छिड़ी बहस