सार
सोशल मीडिया यूजर्स पुलिस से अपील कर रहे हैं कि वो लॉकडाउन में बाहर निकल रहे लोगों को मुर्गा न बनाए और उन पर लाठी न भांजे।
नई दिल्ली. कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन चल रहा है। किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। संक्रमण के नियंत्रण के लिए लोग घरों में कैद हैं। पुलिस बाहर तैनात है। घर से निकलने वालों को पुलिस डांट-डपटकर अंदर भेज रही है। सोशल मीडिया पर पुलिस की कार्रवाई के वीडियो और तस्वीरें छाए हैं। कहीं मुर्गा बनाया गया तो कहीं किसी से उठक-बैठक लगवाई गई। इस बीच पुलिस के साथ मारपीट के भी मामले सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर बीते कुछ दिनों से एक पुलिसकर्मी की पिटाई की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। दावा है कि लॉकडाउन में गुस्साई भीड़ ने पुलिसवाले की ही पिटाई कर दी। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि इसकी सच्चाई क्या है?
एक तस्वीर फेसबुक पर वायरल हो रही हैं, जिसमें एक शख्स एक पुलिसकर्मी को सड़क पर पटकते हुए दिखाई दे रहा है।
वायरल पोस्ट क्या है?
एक फेसबुक यूजर ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- यह लॉकडाउन के दौरान लोगों पर पुलिस के अत्याचार का नतीजा है। पुलिस प्रशासन से निवेदन है कि वो नागरिकों की मजबूरी को समझें।
क्या दावा किया जा रहा है?
सोशल मीडिया यूजर्स पुलिस से अपील कर रहे हैं कि वो लॉकडाउन में बाहर निकल रहे लोगों को मुर्गा न बनाए और उन पर लाठी न भांजे। इसलिए लोग गुस्से में आकर पुलिसवालों से पिटाई कर रहे हैं। इस तस्वीर को शेयर कर यही दावा किया गया कि लॉकडाउन के दौरान कुछ लोगों ने पुलिस को पीट दिया।
सच्चाई क्या है?
हमने तस्वीर को गूगल सर्च किया तो तस्वीर से जुड़ी पुरानी जानकारी मिली। रिवर्स सर्च की मदद से हमने पाया कि ये वायरल तस्वीरें जून, 2017 में "डेली मेल" के एक न्यूज आर्टिकल में इस्तेमाल हुई हैं। यह रिपोर्ट कहती है कि ये तस्वीरें तब ली गई थीं जब उत्तर प्रदेश में कानपुर के एक अस्पताल में एक किशोरी से रेप के बाद गुस्साई भीड़ ने हंगामा किया था। भीड़ ने उस दौरान पुलिस अधिकारियों पर हमला भी किया था। पुलिसवाले की पिटाई की ये तस्वीर काफी वायरल हुई थी।
ये निकला नतीजा
यह वायरल पोस्ट भ्रामक है। यह तस्वीर तीन साल पुरानी है और इसका कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से कोई लेना देना नहीं है।