ऑस्कर में जगह बनाने वाली फिल्म 'संतोष' भारत में बैन हो गई है। फिल्म में पुलिस अफसर का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस सुनीता राजवार ने सेंसर बोर्ड के फैसले पर निराशा जताई है।

Movie selected for Oscar banned in India : "पंचायत" वेब सीरीज के चौथे सीजन में क्रांति देवी का किरदार निभा रही सुनीता राजवार ने सेंसर बोर्ड को लेकर निराशा जताई है। सुनीता राजवार ने अपनी फिल्म संतोष के भारत में रिलीज न होने के बारे में खुलकर बात की है। यूके में निर्मित हिंदी फिल्म को इस साल अकादमी पुरस्कारों में शॉर्टलिस्ट किया गया था।

एक्ट्रेस सुनीता राजवार ने हालिया इंटरव्यू में कहा कि यह निराशाजनक है कि उनकी फिल्म संतोष को ग्लोबल लेवल पर तारीफें मिलने के बावजूद इसे भारत में रिलीज नहीं किया जाएगा। संध्या सूरी द्वारा निर्देशित ये मूवी साल 2025 में ऑस्कर के लिए ब्रिटेन की ऑफीशियल एंट्री थी, लेकिन भारत में सेंसर सर्टिफिकेशन में बाधाओं की वजह से इसे रिलीज नहीं किया जा सका।

किरदार और परफॉरमेंस से बेहद एक्साइटेड हैं सुनीता राजवार

फिल्म में दो महिला पुलिस ऑफीसर में से एक की भूमिका निभाने वाली सुनीता राजवार ने कहा कि फिल्म में उनकी भूमिका उनके सबसे बेहतरीन कामों में से एक है। "मैं दुखी हूं क्योंकि इसमें मेरी भूमिका बहुत अलग है, यह एक अच्छा किरदार है, यह एक बड़ी भूमिका है। हर कलाकार चाहता है कि हर कोई उसका बेस्ट काम देखे। हम उम्मीद करते हैं कि अगर लोग हमारा काम देखेंगे, तो आपको या तो उस लेवल की भूमिका या एक अलग तरह के किरदार की पेशकश की जाएगी।

सुनीता राजवार की मांग- भारत में रिलीज हो संतोष मूवी

"हम सभी चाहते हैं कि दर्शकों को कम से कम संतोष मूवी देखने को मिले । इसके बाद उन्हें पता चलेगा कि हमने इसमें क्या किया है। लेकिन भारत में तो इसे बैन किया गया है। बावजूद इसके निर्माता कोशिश कर रहे हैं, वे मनाने में जुटे हुए है, दरअसल सेंसर बोर्ड ने इसमें इतने कट लगाए हैं, कि फिल्म का असली उद्देश्य ही ड्रॉप हो गया है। वे इतनी एडिटिंग की डिमांड कर रहे हैं, कि इसके बाद फिल्म में कुछ बचेगा ही नहीं।

संतोष की कहानी

international co-production के तहत ब्रिटेन में बनी संतोष मूवी की कहानी उत्तर भारत के ग्रामीण इलाके पर बेस्ड है। इसमें शाहना गोस्वामी जो एक युवा हिंदू विधवा है, उसे एक सरकारी योजना की बदौलत अपने पति की पुलिस कांस्टेबल की नौकरी अनुकंपा के जरिए मिलती है। हालांकि वह खुद को जमे जमाए सिस्टर भ्रष्टाचार में फंसी हुई पाती है। इस दौरान वह निचली जाति की दलित समुदाय की एक किशोरी लड़की से जुड़े ब्रूटल मर्डर के मामले मेंइंस्पेक्टर शर्मा (राजवार) के साथ काम करती है। लेकिन उसका उत्साह तब चकनाचूर हो जाता है, जब वो देखती है कि सबको सबकुछ पता होने के बावजूद वो कुछ नहीं कर सकते ।