सार
Sir C Sankaran Nair Biography : अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी चैप्टर 2' का धांसू ट्रेलर रिलीज हो गया है। ये मूवी जलियांवाला बाग हत्याकांड और सर चेत्तूर शंकरन नायर की कहानी को बयां करती है। यहां हम आपको सर सी शंकरन नायर के बारे में कुछ अहम बातों के बारे में बता रहे हैं।
सर चेत्तूर शंकरन नायर का जन्म 11 जुलाई, 1857 को केरल के पलक्कड़ जिले के मनकारा गांव में हुआ था। शुरुआती शिक्षा घर पर पूरी करने के बाद मालाबार और प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास में पूरी की थी।
कानूनी करियर :
शंकरन नायर ने साल 1880 में मद्रास हाईकोईट बतौर वकील अपना करियर शुरू किया। 1906 से 1908 तक मद्रास के एडवोकेट-जनरल की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली।
ज्युडीशियल करियर :
1908 में, शंकर नायर मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश बन गए, जिस पद पर वे 1915 तक रहे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई बड़े फैसले दिए, हिंदू धर्म में धर्मांतरण को सही ठहराने वाला फैसला भी शामिल था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस:
नायर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख व्यक्ति थे और 1897 में इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे लंबे समय तक कांग्रेस के सर्वेसर्वा थे।
वायसराय की परिषद में शंकर नायर:
1915 में,शंकरन नायर को एजुकेशन डिपार्टमेंट के साथ वायसराय की कौंसिल के मेंबर बन गए। उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में साल 1919 में इस्तीफा दे दिया था।
शंकर नायर ने दिया इस्तीफा
नायर ने जनरल डायर के आदेश से हुए इस हत्याकांड की निंदा करते हुए इपने त्यागपत्र में लिखा- अगर किसी को देश पर सत्ता करने के लिए निर्दोष लोगों का कत्लेआम करना कहां तक सही है।
शंकर नायर ने लिखी जनसंहार पर किताब :
शंकर नायर ने साल 1922 में ‘गांधी एंड एनार्की’ नाम की एक बुक लिखी थी। इसमें उन्होंने जलियावाला बाग नरसंहार के लिए माइकल ओ’डायर को जिम्मेदार ठहराया था। बता दें कि ओ’डायर उस समय पंजाब गर्वमेंट का लेफ्टिनेंट था। हालांकि उसे डिसमिस करके वापस इंग्लैंड भेजा गया था।
डायर के पक्ष में सुनाया गया फैसला
माइकल ओ’डायर ने सी शंकर नायर पर मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया था। इसमें ब्रिटिश जज ने ओ’डायर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया था कि या तो नायर माफी मांग लें नहीं तो 7500 पाउंड का हर्जाना दें। नायर ने माफी नहीं मांगी थी, इसके बदले उन्होंने भारी भरकम जुर्मा चुकाया था। अक्षय कुमार की ‘केसरी 2’ भी इसी कहानी पर बेस्ड बताई जा रही है।
लंदन में कानूनी लड़ाई, पूरी दुनिया में ब्रिटिश शासन की हुई आलोचना
नायर के खिलाफ मानहानि के मामले की सुनवाई लंदन में किंग्स बेंच हुई थी। इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने बड़े नेताओं का ध्यान खींचा था। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हर देश में गुस्सा और आक्रोश फैल गया था।
सामाजिक सुधार:
शंकर नायर स्त्री-पुरष में भेद के खिलाफ थे, वे जाति सुधार और फ्री प्रायमरी एजुकेशन सहित सोशल सुधारों के सपोर्टर थे। उन्होंने 1896 के मालाबार मैरिज एक्ट के लिए कानून की शुरुआत की।
सी शंकर की विरासत:
भारतीय इतिहास में नायर के इस योगदान को सत्य और न्याय के प्रति उनके डेडीकेशन के तौर पर जाना जाता है। उनकी विरासत में मद्रास रिव्यू और मद्रास लॉ जर्नल की स्थापना की गई है।