Kader Khan के 8 फेमस डायलॉग्स, जो हंसाने के साथ सिखाते हैं जिंदगी का सबक
कादर खान की आज यानी 22 अक्टूबर को 88वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 1937 को काबुल में हुआ था। कादर पेशे से प्रोफेसर रहे और लिखने का शौक उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में ले आया है। उन्होंने फिल्मों में काम करने के साथ एक से बढ़कर एक डायलॉग्स भी लिखे थे।

फिल्म हम
कहते हैं किसी आदमी की सीरत अगर जाननी हो तो उसकी सूरत नहीं उसके पैरों की तरफ देखना चाहिए, उसके कपड़ों को नहीं उसके जूतों की तरफ देख लेना चाहिए।
फिल्म नसीब
अरे औरों के लिए गुनाह सही, हम पिएं तो शबाब बनती है। सौ गमों को निचाड़ने के बाद एक कतरा शराब बनती है।
ये भी पढ़ें... क्या इन 7 बॉलीवुड हॉरर फिल्मों के पहले दिन की कमाई का रिकॉर्ड तोड़ पाई थामा?
फिल्म जैसी करनी वैसी भरनी
तुम्हारी उम्र मेरे तर्जुबे से बहुत कम है, तुमने उतनी दीवालियां नहीं देखीं जितनी मैंने तुम जैसे बिकने वालों की बर्बादियां देखी हैं।
फिल्म मुकद्दर सिदंकर
सुख तो बेवफा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तकदीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा।
फिल्म शहंशाह
दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं है, जहां जुर्म के पांव में कानून अपनी फौलादी जंजीरें पहना ना सके।
फिल्म आतिश
जब जिंदगी की गाड़ी इश्क के पेट्रोल पर अटक जाए तो उस गाड़ी में थोड़ा शादी का पेट्रोल डाल देना चाहिए, गाड़ी आगे बढ़ जाती है।
फिल्म जैसी करनी वैसी भरनी
हराम की दौलत इंसान को शुरू-शुरू में सुख जरूर देती है। मगर बाद में ले जाकर एक ऐसे दुख के सागर में ढकेल देती है जहां मरते दम तक सुख का किनारा नजर नहीं आता।
फिल्म बाप नंबरी बेटा दस नंबरी
तुम्हें बख्शीश कहां से दूं। मेरी गरीबी का तो ये हाल है कि किसी फकीर की अर्थी को भी कंधा दूं तो अपनी इंसल्ट मानकर अर्थी से कूद जाता है।
ये भी पढ़ें... फिल्मों से दूर आखिर क्या करते हैं इन 8 बॉलीवुड स्टार्स के भाई-बहन?