सार
Justice BV Nagarathna Biography: जस्टिस बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल हो रही हैं, और 2027 में भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बन सकती हैं। जानिए कौन है जस्टिस बीवी नागरत्ना, उनका करियर, एजुकेशन समेत पूरी डिटेल।
Who is Justice BV Nagarathna: भारत के न्यायिक इतिहास में एक और ऐतिहासिक कदम जुड़ने जा रहा है। जस्टिस बीवी नागरत्ना (Justice BV Nagarathna) अब भारत की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सदस्य बनने जा रही हैं। 25 मई 2025 से वे आधिकारिक रूप से कॉलेजियम का हिस्सा बन जाएंगी। कॉलेजियम में शामिल होने के साथ ही वे उस मार्ग पर एक कदम और आगे बढ़ जाएंगी, जो उन्हें भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस (First Woman CJI of India) बना सकता है।
कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना?
जस्टिस नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर 1962 को हुआ था। उनका पूरा नाम है बीवी नागरत्ना, और वे भारत के पूर्व चीफ जस्टिस ई. एस. वेंकटरमैया की बेटी हैं। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 28 अक्टूबर 1987 को बैंगलोर में वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने संवैधानिक कानून, वाणिज्यिक मामलों, बीमा और सेवा कानून जैसे क्षेत्रों में प्रैक्टिस की।
साल 2008 में बनीं कर्नाटक हाईकोर्ट की एडिशनल जज
उनकी न्यायिक यात्रा की शुरुआत 18 फरवरी 2008 को हुई, जब उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया। बाद में वे 17 फरवरी 2010 को स्थायी जज नियुक्त हुईं।
जस्टिस नागरत्ना का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल और भविष्य की जिम्मेदारी
जस्टिस नागरत्ना को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में 2021 में नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल 29 अक्टूबर 2027 तक रहेगा। सबसे खास बात यह है कि वे 23 सितंबर 2027 के बाद एक महीने से ज्यादा समय के लिए भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में क्या है उनकी भूमिका?
अब जब जस्टिस अभय एस. ओका 24 मई को रिटायर हो रहे हैं, तो कॉलेजियम में एक सीट खाली हो जाएगी। इसके बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना, जो फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में पांचवीं सबसे सीनियर जज हैं, कॉलेजियम का हिस्सा बन जाएंगी। कॉलेजियम में अब शामिल होंगे-
- मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई (CJI Gavai)
- जस्टिस सूर्यकांत
- जस्टिस विक्रम नाथ
- जस्टिस जेके माहेश्वरी
- जस्टिस बीवी नागरत्ना
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम क्या करता है?
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का गठन 1993 में एक ऐतिहासिक फैसले के बाद हुआ था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जज होते हैं जो सुप्रीम कोर्ट और 25 हाईकोर्ट्स के जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर और प्रमोशन की सिफारिश करते हैं। सरकार कॉलेजियम की सिफारिश को एक बार लौटा सकती है, लेकिन अगर कॉलेजियम उसी नाम को दोबारा भेजे तो उसे आमतौर पर मान लिया जाता है। हालांकि कुछ मामलों में सरकार ने फाइल दोबारा भी लौटा दी या फिर जवाब ही नहीं दिया।
जस्टिस नागरत्ना का सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सदस्य बनना क्यों है खास?
जस्टिस नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम की सदस्य बनने वाली कुछ गिनी-चुनी महिला जजों में से एक होंगी। वह भारत की पहली महिला CJI बनने की दिशा में निर्णायक कदम रखेंगी। महिला नेतृत्व को न्यायपालिका के शीर्ष पर देखना भारत के लिए ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण होगा। जस्टिस बीवी नागरत्ना की यह नियुक्ति केवल एक प्रोफेशनल उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की न्यायपालिका में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है। आने वाले समय में वह देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी पर बैठेंगी, यह अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।