सार
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने रांची, झारखंड स्थित प्रज्ञान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी का नाम अपनी लिस्ट से हटा दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि विश्वविद्यालय ने अपनी जरूरी जानकारी यूजीसी को नहीं दी, जो विश्वविद्यालय की जांच के लिए आवश्यक थी। यह छात्रों के लिए एक बड़ी चेतावनी है, खासकर उन स्टूडेंट्स के लिए जो इस विश्वविद्यालय से जुड़ने की सोच रहे थे।
क्या है मामला?
यूजीसी ने 3 अगस्त 2016 को प्रज्ञान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी का नाम अपनी लिस्ट में शामिल किया था, क्योंकि यह विश्वविद्यालय झारखंड सरकार के द्वारा स्थापित किया गया था। लेकिन इसके बाद, विश्वविद्यालय ने यूजीसी से आवश्यक दस्तावेज और जानकारी नहीं भेजी। यूजीसी ने कई बार विश्वविद्यालय से संपर्क किया, लेकिन विश्वविद्यालय ने न तो फोन का जवाब दिया और न ही ईमेल का। नतीजतन, 19 जून 2024 को यूजीसी ने झारखंड सरकार से विश्वविद्यालय की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी।
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झारखंड सरकार ने क्या कदम उठाया?
झारखंड सरकार ने 20 मार्च 2024 को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया और प्रज्ञान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी एक्ट, 2016 को रद्द कर दिया। इसका मतलब यह है कि यह विश्वविद्यालय स्थापित होने के बाद भी कभी सक्रिय नहीं हो सका और यहां कोई शैक्षिक गतिविधियां शुरू नहीं हुईं।
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छात्रों के लिए चेतावनी
यह उन छात्रों के लिए एक गंभीर अलर्ट है जो इस विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के बारे में सोच रहे थे। प्रज्ञान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी का नाम यूजीसी की सूची से हटा दिया गया है और अब यह विश्वविद्यालय अस्तित्व में नहीं है। इसलिए, छात्रों को बिना पूरी जानकारी के किसी भी संस्थान में दाखिला लेने से पहले पूरी तरह से जांच करनी चाहिए। यूजीसी द्वारा इस विश्वविद्यालय का नाम हटाने से यह स्पष्ट हो गया है कि इस संस्थान से जुड़ी कोई भी शैक्षिक प्रक्रिया नहीं शुरू हुई थी, जिससे छात्रों को नुकसान हो सकता है।
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