सार

MBA Job Market Decline: हार्वर्ड जैसे बड़े बिजनेस स्कूलों से MBA करने के बाद भी छात्रों को नौकरी नहीं मिल रही है। कंपनियां अब डिग्री से ज्यादा स्किल्स को महत्व दे रही हैं, जिससे MBA ग्रेजुएट्स को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

MBA Job Market Decline: जॉब मार्केट की मंदी ने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों को भी हिला दिया है। हार्वर्ड और अन्य प्रमुख बिजनेस स्कूलों (ivy league business schools) में जॉब की कमी अब एक बड़ी समस्या बन चुकी है। वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट के मुताबिक, हार्वर्ड के MBA छात्रों में से कम से कम 23 प्रतिशत कैंडिडेट अपनी पढ़ाई पूरी करने के तीन महीने बाद भी नौकरी की तलाश में थे। पिछले कुछ सालों में नए ग्रेजुएट्स के बीच बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है। 2023 में 20 प्रतिशत और 2022 में 10 प्रतिशत छात्र नौकरी पाने में असफल रह गये थे।

हार्वर्ड की डिग्री नहीं, सही स्किल्स जरूरी

यह समस्या सिर्फ हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (HBS) तक सीमित नहीं है, बल्कि स्टैनफोर्ड, व्हार्टन और NYU Stern जैसे अन्य प्रमुख बिजनेस स्कूलों में भी नौकरी पाने की दर बहुत कम रही है। Kisten Fitzpatrick जो HBS के करियर डेवलपमेंट और एलुमनी रिलेशंस विभाग को देखती हैं, के अनुसार- हम जॉब मार्केट की समस्याओं से अछूते नहीं हैं। सिर्फ हार्वर्ड में पढ़ाई करना अब फर्क नहीं डालता, अब जरूरी है कि आपके पास सही स्किल्स हों।

जॉब रिक्रूटमेंट में कमी, तकनीकी स्किल्स की बढ़ती मांग

रिपोर्ट के अनुसार, Amazon, Google और Microsoft जैसी कंपनियों ने MBA रिक्रूटमेंट में कमी की है, साथ ही कंसल्टिंग कंपनियों ने भी कम भर्ती की है। इस स्थिति से निपटने के लिए हार्वर्ड एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल का परीक्षण कर रहा है, जो नौकरी चाहने वालों के रिज्यूमे को उनके पसंदीदा रोल्स से मिलाकर और ऑनलाइन क्लासेस की सिफारिश करके उनके स्किल गैप को भरने का सुझाव देगा।

क्यूं घट रही है MBA ग्रेजुएट्स की भर्ती?

कोविड-19 महामारी के बाद और खासकर पिछले कुछ वर्षों में कंपनियां अपनी वर्क एफिशिएंसी बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। वे अपनी ऑर्गनाइजेशन स्ट्रक्चर के बारे में फिर से सोच रही हैं, छोटे और प्रभावी टीमों पर फोकस कर रही हैं और सामान्य के बजाए स्पेशल टेक्निकल स्किल्स को अधिक प्रायोरिटी दे रही हैं। पारंपरिक MBA प्रोग्राम्स अब इन जरूरतों के साथ मेल नहीं खाते क्योंकि इनमें अधिकतर ग्रेजुएट्स सामान्य ज्ञान के साथ आते हैं, जिन्हें अब तकनीकी योग्यता वाले लोग आसानी से रीप्लेस कर सकते हैं।

नौकरी पाने में सफल रहे छात्रों ने उम्मीदें कम की

हालांकि नौकरी का बाजार कठिन है, लेकिन जो छात्र अपनी उम्मीदों को कम करके चलते हैं, उन्हें नौकरी मिल गई है। कुछ छात्रों ने इस मंदी के बावजूद अपनी स्थिति को सुधारते हुए अच्छी नौकरी हासिल की है। एक अनाम HBS छात्र के अनुसार, जो छात्रों ने अपनी उम्मीदों को थोड़ा कम किया, वे अच्छी जगहों पर काम पाने में सफल रहे। HBS के छात्र आम तौर पर ऐसे जॉब्स से बाहर निकल जाते हैं जो उन्हें MBA से पहले मिलने वाली नौकरी से कमतर नजर आते हैं, भले ही वे अच्छा वेतन देने वाली नौकरी हो।

ये भी पढ़ें- कौन है हर्षा रिछारिया? कितनी पढ़ी-लिखी महाकुंभ की सबसे खूबसूरत साध्वी

बदलते समय के साथ बदल रही MBA ग्रेजुएट्स की भूमिका

पारंपरिक MBA प्रोग्राम्स ग्रेजुएट्स अब जॉब मार्केट में उतनी भूमिका नहीं निभा पा रहे, जितनी पहले निभाते थे। नए दौर की कंपनियां अब केवल MBA डिग्री नहीं, बल्कि विशिष्ट और तकनीकी कौशल को प्राथमिकता दे रही हैं। AI और तकनीकी बदलाव ने यह सुनिश्चित किया है कि अब केवल सही स्किल्स और सटीक अनुभव ही सफलता की कुंजी हैं।

ये भी पढ़ें- PM मोदी के शब्दों ने बदल दी सोलापुर की बीमार छात्रा की जिंदगी, सफलता की कहानी

ये भी पढ़ें- AAP के 10 सबसे पढ़े-लिखे उम्मीदवार, फॉरेन रिटर्न से लेकर IITian तक