सार

आईटी कर्मचारियों के संगठन ने आधिकारिक तौर पर विरोध दर्ज कराया है। सोशल मीडिया और कर्मचारियों के बीच कंपनी के इस कदम के खिलाफ काफी रोष है।

ढाई साल तक इंतजार कराने के बाद इंफोसिस में नौकरी पर रखे गए लगभग सात सौ लोगों को छह महीने के अंदर ही कंपनी ने एक झटके में निकाल दिया है। आईटी कर्मचारियों के संगठन, नेसेंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉईज सेनेट ने यह आरोप लगाया है। कैंपस सेलेक्शन के जरिए इंफोसिस में नौकरी पाने वाले इन लोगों को दो से ढाई साल तक इंतजार कराने के बाद पिछले सितंबर में नौकरी पर रखा गया था। छह महीने के अंदर ही उन्हें निकाल भी दिया गया। कंपनी के इस कदम से आईटी कर्मचारियों और सोशल मीडिया पर काफी विरोध हो रहा है।

आईटी कर्मचारियों के संगठन ने आरोप लगाया कि इंफोसिस में हुई इस सामूहिक छंटनी से कई लोगों को गहरा सदमा लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक, नए कर्मचारियों से एक परीक्षा ली गई और इसमें पास न होने वालों को तुरंत कैंपस छोड़ने का निर्देश दिया गया। इंफोसिस के मैसूर कैंपस में ट्रेनीज़ को बड़ी संख्या में निकाला गया है। सिस्टम इंजीनियर्स और डिजिटल स्पेशलिस्ट इंजीनियर्स पदों पर काम करने वाले ट्रेनीज़ के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षा में पास न होने वालों को शाम छह बजे तक कैंपस छोड़ने का निर्देश दिया गया। आईटी कर्मचारियों के संगठन ने आरोप लगाया कि कई लोगों को अचानक नौकरी छूटने की बात अपने घरवालों को कैसे बताएं, यह भी समझ नहीं आ रहा था। इंफोसिस मैनेजमेंट ने अनैतिक कदम उठाया है, ऐसा भी आरोप है।

2022 में कैंपस रिक्रूटमेंट के जरिए चुने गए लोगों को ऑफर लेटर भेजने के बाद नियुक्ति देने में ही ढाई साल की देरी हुई। फिर सितंबर में ज्वाइन करने का निर्देश मिला। इंफोसिस में नौकरी पक्की होने के कारण इस दौरान न तो उन्होंने दूसरी नौकरियों के लिए कोशिश की और न ही मिली हुई नौकरियों को स्वीकार किया, क्योंकि इंफोसिस से ऑफर लेटर आने वाला था। आखिरकार, नौकरी पर रखे जाने के छह महीने के अंदर ही उन्हें निकाल दिया गया। संगठन ने आरोप लगाया कि भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक पर भरोसा करने वालों के साथ कंपनी ने ऐसा व्यवहार किया।

कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि किसी तरह का विरोध न हो, इसके लिए मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए और बाउंसरों व सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई, जिसके बाद छंटनी की प्रक्रिया पूरी की गई। समूहों में बुलाकर उम्मीदवारों को निकाले जाने की सूचना दी गई। परीक्षा में पास न होने के कारण निकाले जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, ऐसा लिखवाया भी गया। इस बीच, इंफोसिस ने इस मामले में सफाई दी है। कंपनी ने बताया कि ट्रेनी बैच के लोगों को परीक्षा पास करने के लिए तीन मौके दिए गए थे। कंपनी की सफाई में कहा गया है कि कर्मचारियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की परीक्षाएं आम बात हैं।