सार

आईआईटी और एनआईटी में बढ़ती खाली सीटें चिंता का विषय बनी हुई हैं। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, हजारों सीटें खाली रह गई हैं, जिसके पीछे कई कारण हैं। जानिए

IIT NIT Admission Decline: देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से माने जाने वाले IITs और NITs में खाली सीटों की समस्या लगातार बढ़ रही है। इस साल, RTI के जरिए मिली जानकारी के अनुसार, 13 IITs में 276 BTech सीटें और 1165 MTech व MSc प्रोग्राम की सीटें खाली रह गईं। इसी तरह, 19 NITs में 401 BTech सीटों और 2604 MTech व MSc सीटों पर छात्रों ने दाखिला नहीं लिया। IITs और NITs को मिला कर 4000 से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। जानिए आखिर क्या है वजह।

IITs और NITs में बड़ी संख्या में सीटें खाली रहने की वजह?

 कोर्सेज का कम आकर्षण

कई ऐसे कोर्स हैं जो अब छात्रों को उतना आकर्षित नहीं कर रहे हैं, खासकर पोस्टग्रेजुएट लेवल पर। उदाहरण के लिए, IIT Dhanbad में 2024 में 1125 BTech सीटों में से 72 खाली रह गईं। इसी संस्थान के 2023-24 बैच में 234 पोस्टग्रेजुएट सीटें खाली थीं, जबकि 2022-23 में 67 सीटें खाली थीं।

छात्रों का दूसरे विकल्प चुनना

MTech में दाखिले के बाद भी कई छात्र अपनी सीट छोड़ देते हैं। कुछ छात्र प्राइवेट यूनिवर्सिटी या विदेशी संस्थानों में पढ़ाई का विकल्प चुनते हैं। वहीं, कुछ सरकारी नौकरियों या PSU में जॉब कर लेते हैं और पढ़ाई छोड़ देते हैं।

सीट अलॉटमेंट फीस का विवाद

IITs और NITs में सीट अलॉटमेंट फीस (SAF) का प्रावधान है, ताकि एडमिशन के लिए गंभीर उम्मीदवार ही दाखिले के लिए आवेदन करें। हालांकि, इस फीस ने कई बार विवाद पैदा किए हैं। उदाहरण के लिए, IIT Dhanbad के एक दलित छात्र को समय पर SAF जमा न कर पाने की वजह से कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।

MTech की स्थिति और ज्यादा चिंताजनक

MTech प्रोग्राम्स में खाली सीटों का ग्राफ और भी ज्यादा चौंकाने वाला है।

  • IIT बॉम्बे: 2022-23 में 332 सीटें खाली थीं, 2023-24 में 345, और 2024-25 में 257।
  • IIT दिल्ली: 2022-23 में 438 सीटें, 2023-24 में 376, और 2024-25 में 416 सीटें खाली रह गईं।
  • दोनों संस्थानों में लगभग 800 MTech सीटें हैं, लेकिन इनमें से बड़ी संख्या खाली रह रही है।

क्या है समस्या का समाधान?

कोर्सेज को मार्केट के हिसाब से अपडेट करना

आज के बदलते समय में छात्रों को ऐसे कोर्स चाहिए जो जॉब मार्केट के हिसाब से प्रासंगिक हों। IITs और NITs को अपने कोर्सेज का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए, ताकि छात्रों की रुचि और इंडस्ट्री की मांग के बीच बैलेंस बनाया जा सके।

सेंट्रल काउंसलिंग सिस्टम लागू करना

MTech और MSc प्रोग्राम्स में सेंट्रल काउंसलिंग प्रक्रिया की कमी है, जिसकी वजह से दाखिले और ड्रॉपआउट्स का संतुलन बिगड़ता है। एक सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग सिस्टम से सीटों का बेहतर प्रबंधन हो सकता है।

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सीट अलॉटमेंट फीस की समीक्षा

SAF को पूरी तरह खत्म करने या इसे कम करने की जरूरत है, ताकि यह छात्रों के लिए बाधा न बने। साथ ही, यह सुनिश्चित करना होगा कि फीस वाकई ड्रॉपआउट्स को कम करने में मदद करे।

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छात्रों के लिए फ्लेक्सिबिलिटी और फाइनेंशियल हेल्प

छात्रों को एडमिशन प्रक्रिया में अधिक फ्लेक्सिबिलिटी और फाइनेंशियल मदद दी जाए, ताकि आर्थिक कारणों से कोई भी प्रतिभाशाली छात्र पीछे न रह जाए। IITs और NITs जैसे संस्थानों का मकसद सिर्फ सीटें भरना नहीं होना चाहिए, बल्कि छात्रों को क्वालिटी एजुकेशन और बेहतर भविष्य देने का होना चाहिए। अगर संस्थान मार्केट की जरूरतों के हिसाब से बदलाव करें और छात्रों के लिए आसान और पारदर्शी सिस्टम बनाएं, तो खाली सीटों की समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है। यह न केवल संस्थानों की प्रतिष्ठा को बनाए रखेगा, बल्कि छात्रों को उनके सपनों को पूरा करने का मौका भी देगा।

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