सार
Patwa Toli IIT Success Story: JEE Main 2025: गया जिले का पटवा टोली, जो कभी हैंडलूम के लिए जाना जाता था, अब 'IIT गांव' बन गया है। JEE Main 2025 में 40 से ज्यादा छात्रों को सफलता मिली है। जानिए
Bihar Patwa Toli JEE Main 2025 Success Story: बिहार के गया जिले में बसी एक बुनकरों की बस्ती पटवा टोली आज पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। पहले जहां यह इलाका अपने हैंडलूम काम के लिए जाना जाता था, वहीं अब इसे 'IIT गांव' और 'बिहार की IIT फैक्ट्री' कहा जाता है। वजह है यहां के होनहार छात्र, जो हर साल JEE Main और JEE Advanced जैसे कठिन एग्जाम को पास कर IITs में दाखिला ले रहे हैं।
JEE Main 2025 सेकंड सेशन में 40 से ज्यादा छात्र क्वालिफाई
इस साल भी पटवा टोली ने इतिहास दोहराया है। JEE Main 2025 के सेकंड सेशन के रिजल्ट 19 अप्रैल को जारी हुए और इस बार यहां से 40 से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा पास की है। ये सभी अब JEE Advanced 2025, जो 18 मई को होगा, की तैयारी में जुटे हैं।
पटवा टोली गांव में पढ़ाई में बदलाव कैसे आया?
पटवा टोली की सफलता की शुरुआत 1991 में हुई थी, जब जितेंद्र पटवा नाम के एक छात्र ने पहली बार IIT में एडमिशन लिया। उनकी कामयाबी ने गांव के दूसरे बच्चों के लिए नई राह खोल दी। धीरे-धीरे माहौल पढ़ाई वाला बनता गया और आज हालात ये हैं कि लगभग हर घर में एक इंजीनियर है।
वृक्ष फाउंडेशन बना गांव के होनहार छात्रों की उम्मीद
Vriksha Foundation नाम की एक NGO ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई। इस संस्था की शुरुआत 2013 में गांव के ही कुछ IIT पास आउट छात्रों ने मिलकर की थी। इसका मकसद था गांव के जरूरतमंद और होनहार बच्चों को फ्री कोचिंग, स्टडी मटीरियल और ऑनलाइन क्लासेस देना। देशभर से जुड़े एक्सपर्ट टीचर्स इनके साथ पढ़ाते हैं।
JEE Main 2025 में सागर कुमार ने 94.8% स्कोर किया
इस साल सागर कुमार नाम के एक छात्र ने सबको प्रेरित किया। पिता को कम उम्र में खोने के बाद सागर को कई भावनात्मक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन हार नहीं मानी। वृक्ष फाउंडेशन की मदद से उन्होंने JEE Main 2025 में 94.8% स्कोर किया।
पटवा टोली छोटे गांव से बड़ी उड़ान
पटवा टोली की यह सफलता सिर्फ परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि मेहनत, लगन और बदलाव की सोच की कहानी है। जहां पहले बच्चे बुनाई सीखते थे, आज वे कोडिंग और टेक्नोलॉजी की दुनिया में कदम रख रहे हैं। यह दिखाता है कि अगर समय पर सही मार्गदर्शन और सपोर्ट मिले, तो कोई भी गांव देश का गौरव बन सकता है।