सार

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत की शिक्षा प्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव हो रहे हैं। स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षा तक, तकनीक और नीतियों से शिक्षा को नई दिशा मिल रही है। करोड़ों छात्रों और लाखों स्कूलों के आंकड़े इस बदलाव की कहानी बयां करते हैं।

Economic Survey 2024-25: भारत का शिक्षा क्षेत्र तेजी से बदल रहा है और आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 इस बदलाव का सटीक उदाहरण है। संसद में पेश इस सर्वेक्षण ने भारत में शिक्षा की दुनिया में हो रहे बड़े बदलावों की तस्वीर पेश की है। स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षा संस्थानों तक, तकनीकी सुधार और नई नीतियों के तहत शिक्षा को हर स्तर पर सशक्त बनाया जा रहा है। सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों, तकनीकी कोर्सेज और डिजिटल संसाधनों का बढ़ता हुआ इस्तेमाल, भारत के शिक्षा क्षेत्र को एक नई दिशा दे रहा है।

24.8 करोड़ छात्रों को 14.72 लाख स्कूलों में मिल रही शिक्षा

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में बताया गया है कि भारत की स्कूल शिक्षा प्रणाली 24.8 करोड़ छात्रों को 14.72 लाख स्कूलों में शिक्षा प्रदान कर रही है, जिसमें 98 लाख शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से 69 प्रतिशत सरकारी स्कूल हैं, जो 50 प्रतिशत छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं और 51 प्रतिशत शिक्षक रखते हैं, जबकि 22.5 प्रतिशत निजी स्कूल हैं, जो 32.6 प्रतिशत छात्रों को शिक्षा देते हैं और 38 प्रतिशत शिक्षक नियुक्त करते हैं।

हायर एजुकेशन संस्थानों में वृद्धि

हायर एजुकेशन संस्थानों (HEIs) की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2014-15 में जहां ये 51,534 थे, वहीं 2022-23 में ये बढ़कर 58,643 हो गए। सर्वे के अनुसार, 2023 में IITs की संख्या 23 थी, जबकि 2014 में ये 16 थे। IIMs की संख्या 2014 में 13 थी, जो 2023 में बढ़कर 20 हो गई। 2013-14 में 387 मेडिकल कॉलेज थे, जो 2024-25 में बढ़कर 780 हो गए हैं। इसी तरह, विश्वविद्यालयों की संख्या 2014 में 723 थी, जो 2024 में बढ़कर 1,213 हो गई है।

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स्कूलों में कंप्यूटर और इंटरनेट बढ़े

आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि स्कूलों में कंप्यूटर की उपलब्धता 2019-20 में 38.5 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 57.2 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा, स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा 2019-20 में 22.3 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 53.9 प्रतिशत हो गई है।

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स्कूल छोड़ने की दर में भी कमी

स्कूल छोड़ने की दर में भी कमी आई है, जो हाल के वर्षों में बुनियादी सुविधाओं और सूचना-प्रौद्योगिकी (ICT) की उपलब्धता में सुधार के कारण घट रही है। प्राथमिक स्तर पर छोड़ने की दर 1.9 प्रतिशत, उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2 प्रतिशत और माध्यमिक स्तर पर 14.1 प्रतिशत रही है।

नई तकनीकों के अनुरूप शिक्षा में बदलाव

नई तकनीकों के अनुरूप शिक्षा में बदलाव हो रहे हैं। विभिन्न शैक्षिक संस्थान अब नई तकनीकी क्षेत्रों, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), से संबंधित पाठ्यक्रम प्रदान कर रहे हैं। इस दिशा में, शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने और उन्हें 21वीं सदी की जरूरतों के लिए तैयार करने के लिए सरकार ने 'TeacherApp' नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया कि वित्तीय साक्षरता और कौशल को बढ़ावा देने के लिए 'पीयर टीचिंग' जैसे इनोवेशन को अपनाया जा रहा है। यह सर्वेक्षण इस बात पर जोर देता है कि शिक्षा और मानव संसाधन विकास ही देश के विकास के प्रमुख स्तंभ हैं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है।

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