CBSE Board exam twice a year: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब साल 2026 से CBSE 10वीं बोर्ड परीक्षा (Class 10 Board Exam) साल में दो बार आयोजित की जाएगी। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत लिया गया है ताकि छात्रों को परीक्षा में अधिक लचीलापन और बेहतर प्रदर्शन का मौका मिल सके।

CBSE ने इस नए फॉर्मेट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसे सार्वजनिक किया जाएगा। 9 मार्च तक सभी हितधारक (Stakeholders) इस पर अपनी राय दे सकते हैं जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

2026 से कैसे होंगे 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम?

CBSE के अनुसार, बायएनुअल एग्जाम (Biannual Exam) का पहला चरण 17 फरवरी से 6 मार्च 2026 तक आयोजित किया जाएगा, जबकि दूसरा चरण 5 मई से 20 मई 2026 तक होगा।

CBSE के नए एग्जाम पैटर्न की मुख्य बातें

  • 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं हर साल 15 फरवरी के बाद आने वाले पहले मंगलवार से शुरू होंगी।
  • 2026 में अनुमानित परीक्षार्थी:

        10वीं बोर्ड: लगभग 26.60 लाख छात्र परीक्षा देंगे।

        12वीं बोर्ड: लगभग 20 लाख छात्र परीक्षा में बैठेंगे।

  • दोनों परीक्षाएं वर्तमान सिलेबस और टेक्स्टबुक्स के आधार पर होंगी।
  • मुख्य विषयों (Science, Maths, Social Science, Hindi, English) की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित तिथियों पर आयोजित होंगी।
  • अन्य विषयों का ग्रुपिंग सिस्टम:
  • क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं (Regional and Foreign Languages) की परीक्षा एक ही दिन कराई जाएगी।
  • अन्य वैकल्पिक विषयों की परीक्षा छात्रों की पसंद के आधार पर 2 से 3 बार कराई जाएगी।

बोर्ड परीक्षा पैटर्न में बदलाव क्यों?

CBSE ने यह बदलाव छात्रों को कम दबाव में बेहतर प्रदर्शन का मौका देने के लिए किया है। NEP 2020 के तहत शिक्षा प्रणाली को और अधिक लचीला और आधुनिक बनाया जा रहा है।

अब छात्रों को पूरे साल सिर्फ एक ही परीक्षा पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा बल्कि वे दो मौकों में से किसी भी परीक्षा में भाग ले सकते हैं और अपने सर्वश्रेष्ठ स्कोर को फाइनल रिजल्ट में शामिल कर सकते हैं।

क्या 12वीं के छात्रों के लिए भी होगा यह बदलाव?

फिलहाल CBSE ने 12वीं बोर्ड परीक्षा (Class 12 Board Exam) के लिए कोई बदलाव नहीं किया है और यह अभी भी साल में एक बार ही आयोजित की जाएगी। लेकिन भविष्य में इस पर भी विचार किया जा सकता है।

क्या कह रहे हैं शिक्षा विशेषज्ञ?

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव छात्रों के मानसिक तनाव को कम करेगा और उन्हें परीक्षा की बेहतर तैयारी का अवसर देगा। इससे ड्रॉपआउट रेट (Dropout Rate) घटेगा और छात्रों को अधिक अवसर मिलेंगे।

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