सार

BPSC 69th Topper Story Chandan Kumar: गया के चंदन कुमार, एक पोस्ट ऑफिस क्लर्क और दिव्यांग, ने BPSC में 9वीं रैंक हासिल की। 12 साल नौकरी के साथ कड़ी मेहनत और पारिवारिक सहयोग से उन्होंने ये मुकाम हासिल किया।

गया जिले के कोयरीबारी मोहल्ले के निवासी और किसान अरुण कुमार शर्मा के बेटे चन्दन कुमार ने BPSC की 69वीं संयुक्त प्रतियोगिता में बिहार में 9वां रैंक हासिल कर एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह सिर्फ एक परीक्षा की सफलता नहीं, बल्कि मेहनत, संघर्ष और अपने सपने को पूरा करने की एक प्रेरणादायक कहानी है। चन्दन कुमार, जो गया पोस्ट ऑफिस में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं, पिछले 12 सालों से इस नौकरी में लगे हुए हैं और इसके साथ-साथ उन्होंने BPSC जैसी कठिन प्रतियोगिता में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

जिंदगी की चुनौतियों से जूझते हुए सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचे चंदन कुमार

चन्दन कुमार की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। न केवल वह एक पोस्ट ऑफिस क्लर्क के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाते हैं, बल्कि वह शारीरिक रूप से भी विकलांग हैं—उनका दाहिना हाथ और एक पैर प्रभावित है। लेकिन इन सारी कठिनाइयों के बावजूद, चन्दन ने यह साबित कर दिया कि अगर आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी बाधा इंसान को सफलता से नहीं रोक सकती।

नौकरी के बाद हर दिन 5-6 घंटे पढ़ाई

चन्दन बताते हैं, "जब भी पोस्ट ऑफिस से घर लौटता, तो थोड़ा आराम करने के बाद पढ़ाई में जुट जाता था। हर दिन मैं 5-6 घंटे पढ़ाई करता था। नौकरी और पढ़ाई का संतुलन बनाना मुश्किल था, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। अगर आपके पास मजबूत नींव हो, तो आप किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।"

परिवार का समर्थन बना चंदन की सफलता की कुंजी

चन्दन की सफलता के पीछे उनके परिवार का समर्थन है। उनके पिता, अरुण कुमार शर्मा, जो किसान हैं, हमेशा अपने बेटे को शिक्षा की अहमियत समझाते रहे हैं। उनके अनुसार- हमारे लिए शिक्षा सबसे बड़ी पूंजी थी। भले ही आर्थिक मुश्किलें आईं, लेकिन हमने चन्दन को कभी भी पढ़ाई से नहीं रोका। हम चाहते थे कि वह अच्छे संस्कारों और शिक्षा के साथ आगे बढ़े। चन्दन के बड़े भाई, राकेश कुमार, जो एक शिक्षक हैं, ने भी चन्दन की सफलता में अहम भूमिका निभाई है। राकेश कहते हैं- हमारे घर में शिक्षा हमेशा से सर्वोत्तम रही है। चन्दन का सपना था कि वह प्रशासनिक सेवा में जाए और समाज की सेवा करे। हमें गर्व है कि उसने अपनी मेहनत से यह सपना सच किया।

बचपन से थी प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा

चन्दन बताते हैं, "बचपन से ही मुझे प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा थी, ताकि मैं लोगों की मदद कर सकूं और उनके जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव ला सकूं। इसके लिए मैंने BPSC की परीक्षा दी और आज मुझे अपनी मेहनत का फल मिला।" चन्दन की सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर व्यक्ति में इच्छाशक्ति और मेहनत हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में सफलता प्राप्त कर सकता है। चन्दन कुमार की यात्रा यह सिखाती है कि जीवन में अगर उद्देश्य स्पष्ट हो और मेहनत में कोई कसर न छोड़ी जाए, तो सफलता किसी के भी हाथों से दूर नहीं रहती। 

ये भी पढ़ें

CAT के अलावा MBA में एडमिशन के लिए कौन-कौन से ऑप्शन हैं?

नोएडा मेट्रो में जनरल मैनेजर बनने का मौका, सैलरी ₹2.8 लाख तक