सार
इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी जाती है कि मनी सप्लाई का ट्रेंड क्या है, इसके अलावा कृषि, औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा, रोजगार, निर्यात, आयात, विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत क्या है।
करियर डेस्क. केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को देश का बजट (Budget ) पेश करेंगी। लेकिन हर साल बजट पेश होने के ठीक एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया जाता है। 31 जनवरी को सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। लेकिन क्या आप आप जानते हैं ये क्या है और बजट से इसका क्या संबंध होता है और इसे बजट के एक दिन पहले ही क्यों पेश किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है आर्थिक सर्वेक्षण।
क्या है आर्थिक सर्वेक्षण
इकोनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का एक लेखा-जोखा होता है। इकोनॉमिक सर्वे एक फाइनेंशियल डॉक्युमेंट होता है. इसमें पिछले एक वित्त वर्ष के दौरान भारत के आर्थिक विकास की समीक्षा की जाती है. इसके लिए विभिन्न सेक्टर्स, इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, रोजगार, महंगाई, एक्सपोर्ट जैसे डेटा का सहारा लिया जाता है। उदाहरण के तौर पर इस साल एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो बजट पेश करने जा रही हैं, वह आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए होगा, लेकिन जो आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा वह मौजूदा साल 2021-22 के लिए होगा।
पहली बार कब पेश किया गया
पहली बार देश का आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था। 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले सर्वेक्षण जारी करता आ रहा है। इस रिपोर्ट को डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स यानी DEA की तरफ से तैयार किया जाता है।
इसमें क्या जानकारी होती है
इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी जाती है कि मनी सप्लाई का ट्रेंड क्या है, इसके अलावा कृषि, औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा, रोजगार, निर्यात, आयात, विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत क्या है। इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक समीक्षा को वित्त मंत्रालय का महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज माना जाता है। इसे चालू वित्त वर्ष को लेकर केंद्र सरकार की रिपोर्ट के तौर पर भी देखा जाता है। इससे एक वित्त वर्ष में देशभर में हुए आर्थिक विकास की एक तस्वीर सामने आती है।
बजट से पहले क्यों किया जाता है पेश
इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर यह तय किया जाता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं देखने को मिलेंगी। इसके अलावा इस आधार पर सरकार को भी सुझाव दिए जाते हैं। इसलिए इसको इसको हमेशा बजट से ठीक एक दिन पहले पेश किया जाता है।
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