सार
लेन-देन को किश्तों में बदलने के लिए क्रेडिट कार्ड पर प्रोसेसिंग शुल्क शुरू किए जाने से, 'बाय नाउ, पे लेटर' योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि वे महंगी हो जाएंगी।
बिजनेस डेस्क। एसबीआई ने अपने क्रेडिट कार्ड धारकों को बड़ा झटका दे दिया है। एसबीआई की यूनिट एसबीआई काड्र्स एंड पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एसबीआईसीपीएसएल) ने जानकारी देते हुए कहा है कि सभी समान मासिक किस्तों के ट्रांजेक्शंस पर 99 रुपए के फ्लैट प्रोसेसिंग फीस के साथ टैक्स भी लिया जाएगा। वास्तव में कंपनी रिटेल आउटलेट्स और Amazon और Flipkart जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर किए गए सभी ईएमआई ट्रांजैक्शन के लिए प्रोसेसिंग फीस चार्ज करेगी। ये शुल्क खरीदारी को ईएमआई में बदलने पर लगने वाले ब्याज शुल्क के अतिरिक्त हैं। कंपनी ने अपने ग्राहकों को ईमेल द्वारा नए शुल्क के बारे में सूचित किया। यह नया नियम एक दिसंबर से लागू हो जाएगा।
प्रोसेसिंग फीस
प्रोसेसिंग फीस तब लागू होता है जब आपका ट्ंजेक्शन सफलतापूर्वक ईएमआई में परिवर्तित पर लागू होते हैं। 1 दिसंबर से पहले किए गए किसी भी लेनदेन, 1 दिसंबर के बाद होने वाली ईएमआई बुकिंग के साथ, इस प्रोसेसिंग फीस से छूट दी जाएगी। कंपनी खुदरा दुकानों पर खरीदारी करते समय चार्ज स्लिप के माध्यम से कार्डधारकों को ईएमआई ट्रांजेक्शंस पर प्रोसेसिंग फीस की प्रयोज्यता के बारे में बताएगी।
पेमेंट पेज पर मिलेगी जानकारी
ऑनलाइन ईएमआई लेनदेन के लिए, यह पेमेंट पेज पर प्रोसेसिंग फीस की सूचना देगा। ईएमआई ट्रांजेक्शन कैंसिल होने की स्थिति में प्रोसेसिंग फीस वापस कर दी जाएगी। हालांकि, प्री-क्लोजर की स्थिति में इसे वापस नहीं किया जाएगा। मर्चेंट ईएमआई में परिवर्तित लेनदेन के लिए रिवॉर्ड पॉइंट लागू नहीं होंगे। नाम न छापने का अनुरोध करने वाले एक खुदरा बैंकर के अनुसार एसबीआईसीपीएसएल से ये प्रोसेसिंग फीस उद्योग के मानकों के अनुसार हैं। अन्य प्रमुख निजी बैंक लंबे समय से ये शुल्क ले रहे हैं।
ऐसे करेगा काम
मान लें कि आप अपनी ईएमआई योजना के तहत किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट से एसबीआई क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान खरीदते हैं। फिर एसबीआईसीपीएसएल आपसे प्रोसेसिंग फीस और लागू टैक्स के रूप में 99 रुपए लेता है। यह आपके मासिक क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में ईएमआई राशि के साथ दिखाई देगा। लेन-देन को किश्तों में बदलने के लिए क्रेडिट कार्ड पर प्रोसेसिंग शुल्क शुरू किए जाने से, 'बाय नाउ, पे लेटर' योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि वे महंगी हो जाएंगी।