क्या UPI पर अब लगेंगे पैसे? जानिए पूरा मामला
UPI पेमेंट अब महंगा हो सकता है! फिनटेक कंपनियां हर ट्रांज़ैक्शन पर चार्ज लगाने का प्रस्ताव रख रही हैं। क्या ग्राहकों पर पड़ेगा इसका भार?
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किसी को पैसे भेजने, बिल भरने, छोटी-बड़ी हर खरीदारी के लिए यूपीआई इस्तेमाल हो रहा है। आसानी से पेमेंट कर पाने की वजह से ज़्यादातर लोग यूपीआई सर्विस यूज़ करते हैं। गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसी कई कंपनियां यूपीआई सर्विस देती हैं। अब तक सभी यूपीआई ट्रांज़ैक्शन मुफ्त थे, कोई चार्ज नहीं लगता था। लेकिन जल्द ही यूपीआई ट्रांज़ैक्शन पर चार्ज लग सकता है।
पिछले कुछ सालों में यूपीआई ने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट जैसी कई सर्विसेज़ को पीछे छोड़ दिया है। अब गूगल पे, फोनपे जैसी फिनटेक कंपनियां हर यूपीआई ट्रांज़ैक्शन पर एमडीआर चार्ज लगाने का प्रस्ताव रख रही हैं। उनका कहना है कि ज़ीरो चार्ज वाले नियम से यूपीआई पेमेंट सर्विसेज़ चलाना मुश्किल है। हर स्तर पर ग्राहकों को सुरक्षा देनी होती है, इसलिए मुफ्त में सर्विस देना संभव नहीं है। इसलिए फिनटेक कंपनियां एमडीआर चार्ज लेना चाहती हैं।
एमडीआर या मर्चेंट डिस्काउंट रेट वो चार्ज है जो दुकानदार यूपीआई से पेमेंट लेने के लिए बैंक या यूपीआई कंपनी को देते हैं। क्रेडिट कार्ड से पेमेंट पर भी दुकानदारों को एमडीआर चार्ज देना होता है। इसलिए कई दुकानदार क्रेडिट कार्ड से पेमेंट पर एक्स्ट्रा चार्ज लेते हैं।
फिनटेक कंपनियों के प्रस्ताव में कहा गया है कि 2,000 रुपये से ज़्यादा के ट्रांज़ैक्शन पर दुकानदारों को एमडीआर चार्ज देना होगा। सालाना 20 लाख रुपये का कारोबार करने वाले या यूपीआई से पेमेंट लेने वाले दुकानदारों को एमडीआर चार्ज देना होगा। 2,000 रुपये से ज़्यादा के ट्रांज़ैक्शन पर 0.3% एमडीआर चार्ज लगाने की मांग की गई है।
एमडीआर चार्ज सीधे ग्राहकों से नहीं लिया जाएगा, लेकिन इसका असर उन पर ज़रूर पड़ेगा। अगर लोग 2,000 रुपये से ज़्यादा का यूपीआई पेमेंट करेंगे, तो दुकानदार कैश पेमेंट मांग सकते हैं या एक्स्ट्रा चार्ज ले सकते हैं। एनपीसीआई सीधे ग्राहकों से चार्ज नहीं लेगा, लेकिन इसका भार ग्राहकों पर ही पड़ेगा।
फिनटेक कंपनियों ने यह प्रस्ताव रखा है, लेकिन एनपीसीआई ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। प्रस्ताव की पूरी जांच की जा रही है और सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। एनपीसीआई का मुख्य उद्देश्य यूपीआई को मुफ्त में उपलब्ध कराना है, इसलिए इस प्रस्ताव पर सभी पक्षों से बातचीत की जा रही है।