SEBI ने Hindenburg द्वारा अडानी समूह और गौतम अडानी पर लगाए गए आरोपों को खारिज किया है। कहा है कि समूह ने कोई गड़बड़ी नहीं की। पैसे के लेनदेन में अनियमितता नहीं बरती गई थी। गौतम अडानी ने X पर इस संबंध में पोस्ट किया है।

Hindenburg Allegations: भारत के बाजार नियामक SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी और समूह की कंपनियों (अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर) के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर लगाए थे गंभीर आरोप

जनवरी 2021 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह ने अपनी कंपनियों के बीच धन का लेन-देन करने के लिए तीन कंपनियों एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया था। सेबी ने अपने आदेश में कहा कि अडानी समूह ने कोई उल्लंघन नहीं किया।

गौतम अडानी ने कहा- झूठी खबरें फैलाने वाले देश से माफी मांगें

PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी ने कहा, "यह देखते हुए कि सभी कर्ज चुका दिए गए थे, धन का उपयोग इच्छित उद्देश्यों के लिए किया गया था। कोई धोखाधड़ी या अनुचित व्यापार नहीं हुआ था।" सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ सभी कार्यवाही बंद कर दी है। गौतम अडानी ने इस संबंध में X पर पोस्ट किया। कहा कि सेबी के निष्कर्षों से यह पुष्ट होता है कि शॉर्ट-सेलर के दावे निराधार थे। उन्होंने लिखा,

विस्तृत जांच के बाद, सेबी ने उसी बात की पुष्टि की है जो हम हमेशा से मानते आए हैं कि हिंडनबर्ग के दावे निराधार थे। पारदर्शिता और ईमानदारी हमेशा से अडानी समूह की पहचान रही है। हम उन निवेशकों का दर्द गहराई से समझते हैं जिन्होंने इस धोखाधड़ी और दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट के कारण पैसा गंवाया है। झूठी खबरें फैलाने वालों को देश से माफी मांगनी चाहिए। भारत की संस्थाओं, भारत के लोगों और राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। सत्यमेव जयते! जय हिंद!

 

 

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NDTV की रिपोर्ट के अनुसार सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक जेएन गुप्ता ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद से लगभग सभी लोग धीरे-धीरे इस नतीजे पर पहुंच गए हैं कि "अडानी गलत पक्ष में नहीं थे"। गुप्ता ने कहा,

यह आदेश इस तथ्य पर अंतिम मुहर लगाता है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कोई सच्चाई नहीं थी। इससे कुछ बातें उजागर होती हैं कि हमारे पास एक ऐसी व्यवस्था है जहां हम बिना तथ्यों के बहुत सी बातों पर विश्वास कर लेते हैं। हमारी व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। इस निष्कर्ष पर पहुंचने में दो साल से ज्यादा समय लग गया। जिन खुदरा निवेशकों ने रिपोर्ट के कारण घबराकर अपना निवेश बेच दिया, उन्हें नुकसान हुआ है।

 

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