सार
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने शुक्रवार, 7 फरवरी को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) के फैसलों की जानकारी दी। केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों (Interest Rates) को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया है।
बिजनेस डेस्क : लंबे इंतजार के बाद आखिरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आम आदमी को बड़ा तोहफा दिया है। केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों (Interest Rates) को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया है। मतलब अब आपको सस्ता लोन मिलेगा और EMI भी घट जाएगी। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने शुक्रवार, 7 फरवरी को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) के फैसलों की जानकारी दी। बतौर गवर्नर पहली पॉलिसी की जानकारी देते हुए संजय मल्होत्रा कहा, 'महंगाई दर लक्ष्य के करीब है। फ्लेक्सिबिल महंगाई लक्ष्य से इकोनॉमी पर बेहतर असर देखने को मिला है। महंगाई लक्ष्य से जुड़े फ्रेम वर्क में बदलाव किए जाएंगे। रेगुलेशन को लेकर संतुलन बनाए रखने की कोशिशें भी हैं। नए नियम सिलसिलेवार तरीके से लागू किए जाएंगे।'
रेपो रेट में 5 साल बाद कटौती
RBI ने 5 साल बाद रेपो रेट में कटौती की है। आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट (Repo Rate) में 0.40% की कटौती हुई थी। तब इसे 4% कर दिया गया था। मई 2022 से लेकर मई 2023 तक ब्याज दरों में लगातार इजाफा होता रहा। इस दौरान रेपो रेट 2.50% तक बढ़कर 6.50% पर पहुंच गया। इस तरह से पांच साल बाद इसे घटाया गया है।
रेपो रेट क्या है
रेपो रेट या पॉलिसी रेट RBI का वो टूल है, जिससे महंगाई कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। जब महंगाई ज्यादा हो जाती है, तब केंद्रीय बैंक पॉलिसी रेट (Policy Rate) बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने का प्रयास करता है। जब ये रेट ज्यादा होती है, तब बैंकों को रिजर्व बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाता है। बदले में बैंक कस्टमर्स यानी हमें-आपको महंगा लोन देते हैंइससे इकोनॉमी में मनी फ्लो (Money Flow) कम होता है। ऐसा होने पर मांग में कमी आती है और महंगाई कम हो जाती है।
Repo Rate कम करने की जरूरत क्यों आती है
जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजर रही होती है, जब इसकी रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत होती है। ऐसे में रिजर्व बैंक रेपो रेट घटा देते हैं। इससे बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है। बदले में बैंक अपने ग्राहकों को सस्ता लोन यानी कम ब्याज पर लोन देते हैं। इससे लोन की EMI भी कम होती है।
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