Indian Billionaire Inspirational Story : कभी 50 रुपए कमाने वाले जूता फैक्ट्री के वर्कर का बिजनेस एम्पायर आज 25,000 करोड़ रुपए का है। हर मिनट करोड़ों रुपए कमाने की इंस्पायरिंग स्टोरी ओबेरॉय होटेल्स ग्रुप (Oberoi Group) के मालिक की है। जिनका जन्म पाकिस्तान में हुआ लेकिन एक घटना के बाद सबकुछ छोड़कर भारत आ गए और आज हॉस्पिटलिटी इंडस्ट्री में एक ब्रांड हैं। कई देशों में उनका बिजनेस चलता है। आइए जानते हैं ओबेरॉय ग्रुप और उसके फाउंडर की सक्सेस स्टोरी...

ओबेरॉय ग्रुप का बिजनेस एम्पायर 

ओबेरॉय ग्रुप के होटल्स और रिसॉर्ट्स भारत समेत कई देशों में हैं। EIH लिमिटेड (East India Hotels Limited) और EIH (Associated Hotels Ltd) ओबेरॉय ग्रुप की दो लिस्टेड कंपनियां हैं। ग्रुप मौजूदा समय में ओबेरॉय होटल्स एंड रिसॉर्ट्स के लक्जरी ब्रांड के तहत कई होटल्स और ट्राइडेंट होटल्स ब्रांड के तहत कई 5 स्टार प्रॉपर्टीज का मालिक है। इसके अलावा क्लार्क्स होटल, शिमला और मेडेन्स होटल, नई दिल्ली भी मैनेज करता है। मिस्र में ग्रुप के पास दो लक्जरी क्रूजर भी है। ओबेरॉय होटल्स एंड रिजॉर्ट भारत, इंडोनेशिया, यूएई, मॉरिशस, सऊदी अरब, इजिप्ट, मोरोक्को जैसे देशों में चलता है।

ओबेरॉय ग्रुप के फाउंडर कौन 

राय बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय (Mohan Singh Oberoi) 'द ओबेरॉय ग्रुप' के फाउंडर हैं। उनका जन्म 15 August, 1898 को झेलम में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। छोटी सी उम्र में ही पिता को खोने के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। इसे संभालने के लिए चाचा की जूता फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया। हालांकि, जब भारत-पाकिस्तान अलग हुए तो दंगों के कारण फैक्ट्री बंद हो गई और उन्हें सब कुछ छोड़कर भारत आना पड़ा।

सिर्फ 50 रुपए सैलरी पर काम 

भारत आने के बाद मोहन सिंह ओबेरॉय ने एक नई शुरुआत की। शिमला में सेसिल होटल में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करने लगे। इसके लिए उन्हें सिर्फ 50 रुपए मंथली सैलरी मिलती थी। हालांकि, उनका काम इतना कमाल का था कि ब्रिटिश मैनेजर काफी प्रभावित हुआ और फिर होटल के अकाउंट्स की जिम्मेदारी दे दी। यहीं से उन्हें हॉस्पिटैलिटी की बारीरिकां और काम समझ आई।

बीवी के गहने बेच खरीदा होटल 

कुछ समय काम करने के बाद ओबेरॉय के मैनेजर ने एक छोटा सा छोटा खरीदा, जिसकी जिम्मेदारी उन्हें दी। यह उनकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट रहा। इसी होटल को उन्होंने 1934 में खुद खरीद लिया। इसके लिए उन्हें अपनी पूरी सेविंग और बीवी के गहने बेचने पड़े थे। इस होटल का नाम क्लार्क होटल था। यहीं से उनकी होटल बिजनेसमैन के तौर पर शुरुआत हुई।

सबसे बड़े होटल चेन के मालिक बने 

क्लार्क होटल से ओबेरॉय को जो मुनाफा हुआ, उससे अपना कर्ज चुकाया और कोलकाता में एक बड़ा होटल खरीदा। इसके बाद एसोसिएटेड होटल्स ऑफ इंडिया (AHI) के शेयरों में निवेश किया। इस होटल चेन के पास शिमला, दिल्ली, लाहौर, मरी, रावलपिंडी और पेशावर में कई होटल्स थे। देखते ही देखते ओबेरॉय ने AHI पर अपना कंट्रोल कर लिया और देश के सबसे बड़े होटल चेन के मालिक बने।

ओबेरॉय होटल्स ग्रुप को दुनिया तक पहुंचाया 

साल 1965 में मोहन सिंह ओबेरॉय ने दिल्ली में 'द ओबेरॉय इंटरकॉन्टिनेंटल' नाम से भारत का पहला मॉडर्न होटल खोला। फिर 1973 में मुंबई में 35 फ्लोर का ओबेरॉय शेरेटन शुरू किया। यहां से उन्हें लग्जरी हॉस्पिटैलिटी में ब्रांड के तौर पर पहचान मिली। उन्होंने ओबेरॉय ग्रुप के होटल्स का चीन, UAE, UK, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों में विस्तार किया, जो आज दुनियाभर में एक बड़ा ब्रांड है। होटल इंडस्ट्री में अहम योगदान और अलग पहचान बनाने की वजह से मोहन सिंह ओबेरॉय को 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया है। साल 2002 में 103 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।