सार

1961 में लागू हुए वर्तमान कानून में महत्वपूर्ण बदलावों के साथ नया आयकर बिल पेश किया जा रहा है।

New Income Tax Bill Update नई दिल्ली: केंद्रीय बजट पेश होने के बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल संसद में नया आयकर बिल पेश करने की तैयारी में हैं। 1961 में लागू हुए वर्तमान कानून में महत्वपूर्ण बदलावों के साथ यह नया बिल पेश किया जा रहा है। यह हर भारतीय के जीवन को प्रभावित करेगा। 

बजट में केंद्रीय मंत्री ने 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वालों को आयकर सीमा से बाहर रखने की घोषणा की थी। अब 23 अध्यायों और 622 पृष्ठों वाले इस बिल का मसौदा सांसदों को बांट दिया गया है। संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। इसे आयकर कानून 2025 के नाम से जाना जाएगा। हालांकि, यह 1 अप्रैल 2026 से ही लागू होगा।

298 धाराओं वाले वर्तमान आयकर कानून में लगभग 800 पृष्ठ हैं। नए बिल में धाराओं की संख्या बढ़कर 536 हो गई है। पहले के 14 अनुसूचियों की जगह नए कानून में 16 अनुसूचियां होंगी। अध्यायों की संख्या 23 ही रहेगी। फाइनेंशियल ईयर, असेसमेंट ईयर को हटाकर नए कानून में 'टैक्स ईयर' शब्द जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। अगर ऐसा होता है, तो वर्तमान कानून में प्रीवियस ईयर को नए बिल में 'टैक्स ईयर' कहा जाएगा। असेसमेंट ईयर शब्द पूरी तरह हटा दिया जाएगा। 

नए आयकर बिल के मसौदे पर पहले ही जनता से राय मांगी गई थी। कानून की भाषा को कैसे सरल बनाया जाए, भ्रम कैसे दूर किया जाए, इस पर लोगों ने अपनी राय दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि नया कानून सभी के लिए आसानी से समझने योग्य है। वर्तमान कर कानून के मूल ढांचे में बिना ज्यादा बदलाव किए, लेकिन सरल भाषा में तैयार किया गया यह नया बिल कल संसद में चर्चा के लिए आएगा। 

जानकारी के अनुसार, नए कानून में अधिकारियों के हस्तक्षेप से होने वाली देरी को कम करने और शिकायतों का तेजी से निपटारा करने के लिए आवश्यक बदलाव किए गए हैं। विदेशी लेनदेन पर नज़र रखने और कर चोरी रोकने के लिए सख्त नियम भी हैं। इसके लिए नए कानून में जनरल एंटी-अवॉयडेंस रूल को मजबूत किया गया है। मौजूदा टैक्स स्लैब या रिबेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। हालांकि, पुराने टैक्स सिस्टम का जिक्र हटाए जाने की उम्मीद है। इसके साथ ही नया टैक्स सिस्टम देश का आधिकारिक टैक्स सिस्टम बन जाएगा। पेश होने के बाद, बिल को संसद की स्थायी समिति के पास समीक्षा के लिए भेजा जाएगा।