सार

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अपनी सैलरी का एक तिहाई से ज़्यादा EMI में खर्च कर रहे हैं! ज़रूरी खर्चों के बाद, लाइफस्टाइल और शौक पर भी अच्छा-खासा पैसा जाता है। छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक, खर्च करने के तरीके में दिलचस्प अंतर सामने आए हैं।

भारत में कमाने वाले लोग अपनी सैलरी का 33% से ज़्यादा EMI चुकाने में खर्च करते हैं। यह जानकारी 'भारत कैसे खर्च करता है: उपभोक्ता खर्च के बारे में गहराई से जानकारी' रिपोर्ट में दी गई है। भारत की सबसे बड़ी B2B SaaS फिनटेक कंपनी Perfios ने 19 फरवरी को PwC इंडिया के साथ मिलकर यह रिपोर्ट जारी की। इसमें भारतीय उपभोक्ताओं के खर्च करने के तरीके का विश्लेषण किया गया है। इसमें 30 लाख से ज़्यादा तकनीकी रूप से समझदार उपभोक्ताओं के खर्च करने के तरीके की जाँच की गई है।

रिपोर्ट में दी गई जानकारी

1. EMI पर खर्च: हर शहर के लोग (छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक) अपनी कमाई का 33% से ज़्यादा लोन की EMI चुकाने में खर्च करते हैं।

2. ज़रूरी खर्च: उसके बाद ज़्यादातर पैसा घर का किराया, बिजली बिल वगैरह जैसे ज़रूरी खर्चों में चला जाता है, जो कुल खर्च का 39% होता है। इसके बाद 32% पैसा खाने-पीने, पेट्रोल वगैरह जैसी ज़रूरतों पर खर्च होता है। वहीं, 29% लाइफस्टाइल और शौक से जुड़े खर्चों (विवेकाधीन खर्च) में चला जाता है।

3. लाइफस्टाइल खर्च: लाइफस्टाइल खर्च का सबसे ज़्यादा प्रतिशत (62%) फैशन, शॉपिंग और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स पर होता है।

4. खाने-पीने का खर्च: जैसे-जैसे लोगों की सैलरी बढ़ती है, वैसे-वैसे बाहर खाने या ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने का उनका खर्च और खर्च करने की आवृत्ति, दोनों बढ़ जाती हैं।

5. ऑनलाइन गेमिंग का खर्च: 20,000 रुपये से कम कमाने वाले लोग ऑनलाइन गेमिंग पर सबसे ज़्यादा खर्च (22%) करते हैं। जैसे-जैसे कमाई बढ़ती है, ऑनलाइन गेमिंग पर खर्च करने वालों का प्रतिशत कम होता जाता है। 75,000 रुपये से ज़्यादा कमाने वालों में यह घटकर सिर्फ़ 12% रह जाता है।

6. भुगतान का तरीका: ज़रूरी खर्चों के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका ECS (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस) है। वहीं, ज़रूरी और लाइफस्टाइल खर्चों के लिए UPI सबसे पसंदीदा तरीका है।

7. घर का किराया: टियर-1 शहरों की तुलना में टियर-2 शहरों में घर का किराया 4.5% ज़्यादा है।

8. मेडिकल खर्च: टियर-1 शहरों के लोगों की तुलना में टियर-2 शहरों के लोग हर महीने मेडिकल खर्च पर औसतन 20% ज़्यादा खर्च करते हैं। टियर-1 शहरों में औसत मेडिकल खर्च लगभग 2,450 रुपये प्रति माह है। वहीं, मेट्रो शहरों में सबसे कम मेडिकल खर्च 2,048 रुपये प्रति माह है।

कमाई और भूगोल के आधार पर डेटा विश्लेषण: यह रिपोर्ट मुख्य रूप से फिनटेक कंपनियों (जैसे ऑनलाइन लोन ऐप), NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने वाले कर्ज़दारों का विश्लेषण करती है। इन उपभोक्ताओं को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया है - 1. छोटे शहर (टियर 3), 2. मध्यम शहर (टियर 2) और 3. बड़े शहर या महानगर (टियर 1)। साथ ही, उनकी कमाई भी अलग-अलग थी। कुछ की कमाई 20,000 रुपये से कम थी, तो कुछ की 1 लाख रुपये से ज़्यादा।

Perfios और PwC, दोनों बैंकिंग और वित्तीय सेवा प्रदाता हैं: Perfios बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा (BFSI) क्षेत्र में काम करने वाली एक वैश्विक B2B SaaS (सर्विस एज़ अ सॉफ्टवेयर) कंपनी है। कंपनी 18 देशों में काम करती है और 1000 से ज़्यादा वित्तीय संस्थानों को अपनी सेवाएँ देती है। इसकी स्थापना 2008 में हुई थी। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। दुनिया भर में इसके कई कार्यालय हैं।

वहीं, PwC (प्राइसवाटरहाउसकूपर्स) एक बहुराष्ट्रीय पेशेवर सेवाओं का नेटवर्क है, जिसकी 150+ देशों में शाखाएँ हैं। PwC इंडिया इस वैश्विक नेटवर्क का एक हिस्सा है और भारत में यह कंपनियों, सरकारी संस्थानों और स्टार्टअप्स को व्यावसायिक समाधान प्रदान करता है। इसके अलावा, कंपनी बैंकिंग, वित्त, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढाँचा और विनिर्माण क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करती है।