सार
ITR Form Changes: CBDT ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए नए ITR फॉर्म जारी किए हैं। फॉर्म्स के स्ट्रक्चर में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन फाइनेंस एक्ट 2024 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए इसमें टैक्सपेयर फ्रेंडली बदलाव हुए हैं।
Income tax return filing: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म (आईटीआर-1 सहज, आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-4 सुगम, आईटीआर-वी, आईटीआर 6, आईटीआर-7) के कम्प्लीट सेट को नोटिफाई कर दिया है। फॉर्म्स के स्ट्रक्चर में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन फाइनेंस एक्ट 2024 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए टैक्सपेयर फ्रेंडली कुछ बदलाव किए गए हैं।
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए इन फॉर्म में फाइनेंस एक्ट में महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। इसमें स्मॉल लॉन्गटर्म कैपिटल गेन्स के लिए सिम्प्लीफाइड रिपोर्टिंग, रिलैक्स्ड एसेट्स डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट और डिटेल्ड कैपिटल गेन्स ट्रेकिंग मैकेनिज्म शामिल हैं। बता दें कि इनकम टैक्स विभाग ITR फाइलिंग की प्रॉसेस को और ज्यादा यूजर फ्रेंडली बनाने के लिए समय-समय पर ITR फॉर्म्स में बदलाव करता है। जानते हैं इन बदलावों के बारे में।
1- ITR-1 (सहज)
आईटीआर-1 (सहज) उन भारतीय निवासियों के लिए लागू आईटीआर फॉर्म है, जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है। इसमें वेतन, एक घर की संपत्ति और अन्य स्रोत शामिल हैं। ये आगे भी लागू रहेगा। नई व्यवस्था के तहत अब टैक्सपेयर्स 1.25 लाख रुपए तक के लॉन्गटर्म कैपिटल गेन (आर्टिकल 112A के तहत) भी ITR-1 में रिपोर्ट कर सकेंगे।
2- ITR-2
आईटीआर-2 फार्म उन टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनके पास मल्टीपल प्रॉपर्टीज, विदेशी संपत्तियां या कैपिटल गेन्स है।
- इनके लिए अपडेटेड फॉर्म में 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद के लॉन्गटर्म कैपिटल गेन्स की अलग-अलग रिपोर्टिंग करनी होगी।
- इसके अलावा अनलिस्टेड बॉन्ड/डिबेंचर्स को होल्डिंग पीरियड के मुताबिक अलग-अलग शो करना होगा।
- Buy Back से मिली रकम (1 अक्टूबर 2024 के बाद) को 'अदर सोर्सेस से आय' व कैपिटल गेन्स सेक्शन में Nil के साथ दिखाना होगा।
- इसके अलावा अब संपत्ति और देनदारी की रिपोर्टिंग लिमिट 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दी गई है। इससे कई टैक्सपेयर्स के लिए कम्प्लायंस बर्डन कम हो गया है।
3- ITR-3
आईटीआर-3 उन टैक्सपेयर्स और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) के लिए है, जिनकी कमाई बिजनेस या पेशे से होती है। इसमें अब ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम चुनने की जानकारी कम्पलसरी कर दी गई है। इसके अलावा बिजनेस से जुड़े डिस्क्लोजर जैसे प्रॉफिट, लॉस और विदेशी इनकम की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा हाई वैल्यू फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को भी दिखाना होगा। जैसे-
- 1 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश डिपॉजिट
- 2 लाख रुपए से ज्यादा की विदेश यात्रा
- 1 लाख रुपए से ज्यादा का बिजली बिल
- 10 लाख रुपए से ज्यादा क्रेडिट कार्ड का बिल
4- ITR-4 (सुगम)
आईटीआर-4 फॉर्म प्रिजम्प्टिव इनकम यानी अनुमानित य पर टैक्स भरने वालों के लिए होता है। ये फॉर्म अब टैक्सपेयर्स को 1.25 लाख रुपए तक के लॉन्गटर्म कैपिटल गेन्स (आर्टिकल 112A) की रिपोर्टिंग फैसेलिटी देता है।
5- ITR-5
वो टैक्सपेयर्स जिन्होंने अपने ITR फॉर्म को e-verify नहीं किया है, वो अब भी आईटीआर-V फॉर्म प्रिंट और साइन करके 30 दिन के अंदर बेंगलुरू के सीपीसी ऑफिस को स्पीडपोस्ट के जरिये भेज सकते हैं। ई-वेरिफिकेशन आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग या वैलिड डीमैट अथवा बैंक अकाउंट के जरिये भी किया जा सकता है।
6- ITR-6
आईटीआर-6 दाखिल करने वाली कंपनियों को अब अनिवार्य रूप से आईटीआर-6 दाखिल करना होगा। 6 मई 2025 को नोटिफाई आईटीआर-6 फॉर्म उन कंपनियों के लिए है, जो छूट का क्लेम नहीं करती हैं। इनमें कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं जैसे-
- 23 जुलाई 2024 के पहले और बाद की कैपिटल गेन्स को अलग-अलग दिखाना जरूरी होगा।
- Buyback से जुड़े लॉस तभी वैलिड होंगे, जब संबंधित डिविडेंड इनकम 1 अक्टूबर 2024 के बाद डिक्लेयर की गई हो।
- क्रूज ऑपरेटर्स (आर्टिकल 44बीबीसी) और डायमंड बिजनेस से जुड़े प्रॉफिट (मिनिमम 4% ग्रॉस रिसीप्ट) के लिए अलग से रिपोर्टिंग व्यवस्था जोड़ी गई है।
- TDS कोड और शेड्यूल BP की डिटेल जानकारी कम्पलसरी कर दी गई है।
7- ITR-7
9 मई को नोटिफाई आईटीआर-7 उन इंस्टिट्यूशंस के लिए है, जो आर्टिकल 139 (4A) से 139 (4D) के तहत टैक्स फाइल करते हैं। इनमें चैरिटेबल ट्रस्ट, पॉलिटिकल पार्टीज और रिसर्च इंस्टिट्यूशन शामिल हैं। इस फॉर्म में जो जरूरी बदलाव हुए हैं उनमें-
- केपिलट गेन्स को 23 जुलाई से पहले और बाद के हिसाब से अलग-अलग दिखाना होगा।
- Buy Back से हुए नुकसान को डिविडेंड इनकम के साथ जोड़कर क्लियर करना होगा।
- हाउसिंग लोन पर इंटरेस्ट डिडक्शन आर्टिकल 24(b) को दिखाना भी अब कम्पलसरी रहेगा।
- इसके अलावा डिटेल TDS सेक्शन कोड को बेहतर टैक्स ऑडिट के लिए शामिल किया गया है।