बीमा पॉलिसी बेचने वाले बैंक और दूसरे संस्थान, ग्राहकों को पूरी और सही जानकारी न देकर गुमराह करते हैं।

देश के बड़े बीमा कंपनियों की करीब 49% जीवन बीमा पॉलिसी, पाँच साल के अंदर प्रीमियम न भरने की वजह से बंद हो जाती हैं। इससे पॉलिसीधारकों को बड़ा आर्थिक नुकसान होता है। अक्सर, ग्राहकों के हितों को नज़रअंदाज़ करके, गलत जानकारी देकर पॉलिसी बेच दी जाती है, जिसे 'गलत बिक्री' कहते हैं, यही इसकी मुख्य वजह है।

'गलत बिक्री' का जाल

पॉलिसी बेचने वाले बैंक और दूसरे संस्थान, बीमा पॉलिसी के बारे में पूरी और सही जानकारी न देकर ग्राहकों को गुमराह करते हैं। वो ज़्यादा कमीशन वाली पॉलिसी पर ज़ोर देते हैं। कई ग्राहक महंगी और गैर-ज़रूरी पॉलिसी खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं। बाद में, प्रीमियम भरने में दिक्कत होने पर पॉलिसी छोड़ देते हैं। इससे उनका पैसा और अपेक्षित लाभ, दोनों डूब जाते हैं।

चौंकाने वाले आंकड़े: टॉप 10 जीवन बीमा कंपनियों का औसत 61वें महीने का पॉलिसी जारी रखने का अनुपात सिर्फ़ 51% है। यानी, लगभग आधे पॉलिसीधारक पाँच साल के अंदर प्रीमियम देना बंद कर देते हैं। इससे उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान होता है। 2023-24 में, देश के 15 सबसे बड़े बैंकों ने बीमा, म्यूचुअल फंड और दूसरी वित्तीय सेवाएं बेचकर 21,773 करोड़ रुपये कमीशन कमाया। अपने ही समूह की कंपनियों की बीमा पॉलिसी बेचकर बैंकों को 100% तक कमीशन मिलता है। इस समस्या के समाधान के लिए, विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा विक्रेताओं और एजेंटों को ग्राहकों की ज़रूरतों और जोखिम के हिसाब से ही पॉलिसी सुझानी चाहिए।