मुंबई. जानेमाने सिंगर कैलाश खेर (Kailash Kher) अपनी अलग आवाज के लिए फेमस है। फिल्मों में गाने गाने के अलावा वे भक्ति संगीत में रुचि रखते है। उन्होंने भक्ति संगीत से जुड़े कुछ एल्बल भी निकाले है। अब खबर है कि वे एक भक्ति संगीत से जुड़ा नया शो लेकर आ रहे हैं। ये शो इसी महीने की 22 तारीख से शुरू होगा। इस सो का नाम स्वर्ण स्वर भारत (Swarna Swar Bharat) है। शो से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है। जी टीवी पर आने वाले इस शो की जानकारी सामने आई है। जी टीवी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शो की जानकारी देते हुए लिखा- कैलाश खेर है तैयार ढूंढने एक ऐसी ावाज, जिसके सुरों में गूंजता हो ईश्वर की आराधना का राग। अपने पूरे परिवार के साथ हो जाए तैयारी और देखिए सुर, सार और भाव का महाकुंभ, #SwarnaSwarBharat, 22 जनवरी से।
ऐसे बनाई कैलाश खेर ने पहचान
मेरठ के रहने वाले कैलाश खेर के पिता मेहरचंद खेर कश्मीरी पंडित थे और लोकगीतों में उनकी रुचि थी। यही वजह थी कि कैलाश ने भी 4 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। हालांकि बचपन से ही सूफियाना आवाज के मालिक कैलाश के लिए आगे की राहें आसान नहीं थीं। 1999 में कैलाश खेर ने दोस्त के साथ हैंडीक्राफ्ट बिजनेस शुरू किया लेकिन उन्हें इसमें भारी नुकसान हुआ। यहां तक कि पूरा बिजनेस ही डूब गया। सदमे में आकर कैलाश ने खुदकुशी की कोशिश भी की थी। कैलाश ने 14 साल की उम्र में संगीत की ट्रेनिंग के लिए गुरू की तलाश में घर छोड़ दिया था। घर छोड़ने के बाद वो ऋषिकेश आकर बस गए और गंगा तट पर साधु संतों के साथ मिलकर भजन मंडली में हिस्सा लेने लगे थे।
अल्लाह के बंदे से मिली पहचान
कैलाश खेर को 2003 में आई फिल्म 'अंदाज' के गाने 'रब्बा इश्क ना होवे' में गाने का मौका मिला। हालांकि उन्हें असली पहचान फिल्म 'वैसा भी होता है 2' के गाने 'अल्लाह के बंदे' से मिली। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एलबम 'तेरी दीवानी' से घर-घर में पॉपुलर हो गए। कैलाश अब तक 700 से ज्यादा गाने गा चुके हैं। उनके गानों में भारतीय लोकगीत और सूफी संगीत की झलक मिलती है। वो 10 साल में पूरी दुनिया में करीब 1000 से ज्यादा म्यूजिक कॉन्सर्ट में परफॉर्म कर चुके हैं। 2017 में भारत सरकार कैलाश खेर को पद्मश्री अवॉर्ड से नवाज चुकी है।
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