New KM Based Toll Policy : सरकार नई किलोमीटर-बेस्ड टोल पॉलिसी लाने की तैयारी में है, जिसके तहत आपको को सिर्फ उतने किलोमीटर का टोल देना होगा, जितनी दूर आपकी गाड़ी चलेगी। टोल वसूली के लिए हाईटेक कैमरे और FASTag सिस्टम का इस्तेमाल होगा।
New Toll Tax Policy : अगर आप हाईवे से सफर करते हैं और हर टोल बूथ पर ज्यादा पैसे कटने पर गुस्सा करते हैं तो अब आपको खुश हो जाना चाहिए। क्योंकि सरकार अब एक ऐसी टोल पॉलिसी लाने जा रही है, जिसमें 'जितना रास्ता, उतना पैसा' का फॉर्मूला लागू होगा। यानी 60KM की बजाय अब जितने किलोमीटर चलेंगे, उतना ही टोल देना होगा। आइए सिंपल भाषा में जानते हैं नई टोल टैक्स पॉलिसी आपके लिए राहत की खबर है या नई उलझन?
क्या है नई किलोमीटर-बेस्ड टोल पॉलिसी?
एक्सप्रेसवे या नेशनल हाईवे पर अब अगर आप सिर्फ 15 किलोमीटर सफर करते हैं, तो आपको 60 किलोमीटर का फिक्स चार्ज नहीं देना होगा। नई पॉलिसी में आपसे उतना ही पैसा वसूला जाएगा, जितना आपने असल में सफर किया है।
कैसे काम करेगा ये सिस्टम?
हर टोल प्लाजा पर हाईटेक कैमरे और ANPR (Automatic Number Plate Recognition) सिस्टम लगे होंगे। जिससे आपकी गाड़ी का नंबर प्लेट रिकॉर्ड होगा। आपके FASTag ID से लिंक बैंक अकाउंट से हर किलोमीटर के हिसाब से टोल का पैसा कटेगा। अगर अकाउंट में बैलेंस नहीं होगा तो पेनाल्टी भी देनी पड़ सकती है।
क्यों जरूरी है ये बदलाव?
अब तक जो सिस्टम चल रहा था, वो आपके रूट की लंबाई पर नहीं, बल्कि पूरे प्रोजेक्ट स्टैच्यूट पर चार्ज करता था। यानी भले आपने 10 किमी चलाया हो, आपको 60 किमी का टोल देना पड़ता था। नई पॉलिसी से आपकी जेब बचेगी, लॉन्ग ड्राइव पर जाने वालों को फेयर चार्ज मिलेगा, फालतू बहस, स्लो बैरियर और लंबी-लंबी लाइनों से राहत मिलेगी।
क्या-क्या फायदे होंगे
- जितना चला, उतना टोल
- फास्टैग से फुल ऑटोमैटिक सिस्टम
- लंबी लाइन और झंझट से छुटकारा
- सटीक और किफायती ट्रैवल
नई टोल टैक्स पॉलिसी से आपके लिए क्या बदल जाएगा?
पुराना सिस्टम | नया सिस्टम |
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फिक्स चार्ज | किलोमीटर के हिसाब से |
हर बार पेमेंट | FASTag Annual Pass हो सकता है |
मैन्युअल रुकावट | बैरियर-फ्री सफर |
टोल टैक्स को लेकर कुछ और प्लान भी पाइपलाइन में हैं
FASTag Annual Pass- ₹3000 का एकमुश्त चार्ज और पूरे साल टेंशन फ्री सफर
बैरियर-फ्री एंट्री एग्जिट- बिना रुके सफर, सिर्फ ऑटोमैटिक कैमरा ट्रैकिंग
नंबर प्लेट से ऑटो डिटेक्शन- इंसान नहीं, टेक्नोलॉजी तय करेगी टोल