सार

Teachers Day 2022: हर साल 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस टीचर्स डे यानी शिक्षक दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन स्टूडेंट अपने-अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं।
 

उज्जैन. हर साल 5 सितंबर को भारत में टीचर्स डे (Teachers Day 2022) यानी शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों का विशेष रूप से सम्मान किया जाता है। टीचर्स डे भारत के महान शिक्षक और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि गुरु ही हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और हमारा मार्गदर्शन करता है, सही-गलत का भेद बताता है। धर्म ग्रंथों में ऐसे अनेक गुरुओं के बारे में बताया है, जिन्होंने अपने शिष्यों को श्रेष्ठ शिक्षा दी। शिक्षक दिवस के मौके पर जानिए कुछ ऐसे ही गुरुओं के बारे में…

महात्मा बुद्ध
कुछ ग्रंथों में महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है वहीं कुछ विद्वान इस विचार को गलत बताते हैं। महात्मा बुद्ध ने इस अशांत संसार को शांति का पाठ पढ़ाया और आडंबरों से दूर रहने को कहा। महात्मा बुद्ध ने एक राजकुमार होते हुए भी भिक्षुक की तरह जीवन यापन किया। उनके बताए आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं। उनकी शिक्षाएं मुश्किल समय में हमें सही रास्ता दिखाती हैं। 

गुरु नानकदेवजी
गुरु नानकदेवजी का नाम भारत सहित अन्य देशों में भी बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। उन्होंने सनातन मत की मूर्तिपूजा की शैली के विपरीत एक परमात्मा की उपासना का एक अलग मार्ग मानवता को दिया। सन्त साहित्य में नानक उन संतों की श्रेणी में हैं जिन्होंने नारी को बड़प्पन दिया है। उन्होंने अपनी शिक्षा और विचारों से समाज को सही दिशा दिखाई। ये सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु थे।

आचार्य चाणक्य
आधुनिक भारत में आचार्य चाणक्य को महान गुरु माना जाता है। क्योंकि उन्होंने एक साधारण बालक चंद्रगुप्त मौर्य के अखंड भारत का सम्राट बनाया। साथ ही खंड-खंड में बंटे भारत देश को एक सूत्र में पिरोया। आचार्य चाणक्य ने कई महान ग्रंथों की रचना की। इनमें से कौटिल्य का अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति सबसे प्रमुख है। चाणक्य नीति में लाइफ मैनेजमेंट के टिप्स बताए गए हैं। इन बातों का ध्यान रखा जाए तो हर तरह की परेशानी से बचा जा सकता है।

कबीरदास
संत कबीर ने वैसे तो किसी को अपना शिष्य नहीं बनाया, लेकिन उनकी शिक्षाओं को मानने वाले उन्हें गुरु की तरह ही पूजते हैं। उन्होंने सरल भाषा में लोगों को लाइफ मैनेजमेंट के बारे में बताने का प्रयास किया। इनकी लिखी कबीरवाणी आज भी काफी प्रसिद्ध है। कबीर एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। उनके दोहों में धार्मिक आडंबरों का विरोध साफ दिखाई देता है। कबीर पंथ नामक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं। 

संत रविदास
गुरु रविदास मध्यकाल में एक भारतीय संत थे। उस समय भारत में जात-पात आदि सामाजिक बुराइयां चरम पर तीं। ऐसे में इन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से इनका विरोध किया और रैदासिया अथवा रविदासिया पंथ की स्थापना की। इनके द्वारा रचे गये कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। आज भी संत रविदास के उपदेश समाज को सही रास्ता दिखाते हैं।

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