सार

Shraddh Paksha 2022: हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व माना गया है। इस दौरान लोग अपने मृत परिजनों को श्रद्धा पूर्वक याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजन, श्राद्ध आदि कर्म करते हैं। ये परंपरा पुरातन समय से चली आ रही है।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म को मानने वाले सभी लोग श्राद्ध पक्ष (Shraddh Paksha 2022) के दौरान अपने-अपने पितरों की मृत्यु तिथि पर उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म करते हैं। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि अन्य देशों जैसे  चीन, जर्मनी, सिंगापुर और मलेशिया में भी पितरों को याद कर विशेष आयोजन किए जाते हैं। इन आयोजनों में लोग अलग-अलग तरीकों से अपने पितरों को श्रृद्धाजंलि देते हैं। आगे जानिए दुनिया के किस देश में पितरों को कैसे याद किया जाता है…

फ्रांस में ला टेसेंट (La Tessant in France)
इस देश में लोग अपने पूर्वजों की याद में ला टसेंट पर्व मनाते हैं, जिसका आयोजन 1 नवंबर को किया जाता है। इस दिन लोग अपने मृत परिजनों की कब्र पर जाकर उन्हें याद करते हैं और ताजे फूल और गुलदस्ते अर्पित करते हैं। साथ ही उनकी कब्रों पर मोमबत्ती जलाकर उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं।

जापान में बॉन फेस्टिवल (Bon Festival in Japan)
श्राद्ध पक्ष की तरह ही जापान में 15 दिनों तक बॉन फेस्टिवल मनाया जाता है। ये फेस्टिवल अगस्त के दूसरे पखवाड़े में यानी अंतिम 15 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हुए अपने पैतृक गांव जाते हैं और उनकी कब्रों पर जाकर फूल चढ़ाते हैं।

जर्मनी में ऑल सेंट्स डे (All Saints Day in Germany)
जर्मनी में नवंबर महीने का पहला दिन यानी 1 नवंबर पितरों की याद में शोक मनाने के लिए तय है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए मोमबत्तियां जलाते हैं और खाना खाने से पहले उनकी तृप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

दक्षिण कोरिया में चुसेओक (Chuseok in South Korea)
3 दिन तक चलने वाले इस उत्सव में लोग अच्छी फसल के लिए अपने मृत परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दौरान रोज सुबह सुबह जल्दी उठकर ताजे कटे हुए चावल की डिश बनाते हैं और इसे पुरखों की कब्र पर रखते हैं। और भी कई परंपराएं इस दौरान निभाई जाती हैं।

चीन में चिंग-मिंग फेस्टिवल (Ching-Ming Festival in China)
चिंग का अर्थ साफ और मिंग का अर्थ उज्जवल होता है। ये उत्सव हर साल 4-5 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने मृत परिजनों को याद करके उनकी कब्र की सफाई करने कब्रिस्तान जाते हैं और पूजा-प्रार्थना के बाद कब्र की परिक्रमा करते हैं। इस दिन ठंडा खाना खाने की परंपरा है।


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