सार

26 दिसंबर, गुरुवार को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। यह साल 2019 का अंतिम सूर्यग्रहण होगा। इस समय धनु राशि में 6 ग्रह एक साथ रहेंगे।

उज्जैन. 26 दिसंबर, गुरुवार को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। यह साल 2019 का अंतिम सूर्यग्रहण होगा। इस समय धनु राशि में 6 ग्रह एक साथ रहेंगे। ग्रहों की ऐसी स्थिति तीन सदी पहले बनी थी। ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को हुआ था। उसके बाद ग्रह-नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति 26 दिसंबर को बन रही है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा, क्योंकि चन्द्रमा की छाया सूर्य का 97% भाग ढंकेगी। इस सूर्य ग्रहण की अवधि करीब 3.30 घंटे रहेगी।

ये ग्रहण सुबह 8.04 से आरंभ होगा, 9.30 बजे मध्य काल और सुबह 10.56 बजे ग्रहण खत्म होगा। यह ग्रहण भारत में अधिकतम स्थानों पर खंडग्रास सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, ग्रहण में किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं।

 

यह सूर्य ग्रहण भारत, श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और बोर्नियो में दिखाई देगा। ऊटी, कोयंबटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, अल होफुफ और सिंगापुर के कुछ प्रसिद्ध शहरों में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। वहीं मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई, मैसूर, कन्याकुमारी, रियाद, दोहा, अबू धाबी, मस्कट, कुवैत सिटी, कराची, कुआलालंपुर, जकार्ता और भारत के कुछ प्रसिद्ध शहरों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

 

  • देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। लोगों के भय और रोगों का नाश होगा और देश के बड़े पदों की जिम्मेदारियां पूरी होंगी। देश के महत्वपूर्ण कार्य भी सिद्ध होंगे।
  • वहीं ग्रहण का स्पर्श पूर्व दिशा में होने से पृथ्वी पर वर्षा अधिक होगी एवं अशुभ फल के रूप में राजपुत्रों को कष्ट तथा स्त्रियों को पीड़ा हो सकती है।
  • इसके प्रभाव से वर्षा अधिक होगी। अन्न-भंडार की वृद्धि होगी। वृक्षों में फल-फूल अधिक रहेंगे तथा गायों के घी-दूध आदि की वृद्धि होगी।
  • देश की जनता में आनन्द तथा राजाओं में शान्ति रहेगी। वारुण मण्डल का फल पांच माह के भीतर मिलेगा।
  • पौष मास में ग्रहण होने से देश में अच्छी बारिश, अन्न-भंडार और सुख बढ़ेगा। रस और ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थों में वृद्धि होने के भी योग बन रहे हैं।

 

मेष- मानसिक परेशानी रहेगी। राशि के 9वें भाग में सूर्य ग्रहण होने से संतान के कष्ट की भी संभावना रहेगी। स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
वृष- शत्रु का भय चिंतित करेगा। आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। सेहत को लेकर भी सतर्क रहना होगा।
मिथुन- दांपत्य जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकता है। कारोबार में कठिनाई और नौकरी को लेकर चिंता बरकरार रहेगी।
कर्क- शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा, लेकिन गुप्त चिंता मन को परेशान करेगी। जीवन साथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा।
सिंह- खर्च बढ़ेगा। साथ ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। प्रेम संबंधों में कड़वाहट आ सकती है।
कन्या- कार्य सिद्धि के योग हैं। इसके साथ ही खुद व परिवार के बुजुर्गों की सेहत के प्रति जागरूक रहना होगा। काम को ध्यान से पूरा करें
तुला- धन लाभ हो सकता है। ग्रहण के दौरान प्रभु का सिमरन व ध्यान लगाकर कार्य करने से सफलता मिलेगी।
वृश्चिक- आर्थिक स्थिति खराब रहेगी। परिवार में झगड़ा व आर्थिक क्षति हो सकती है। बीमारी को लेकर सचेत रहने की जरूरत है।
धनु- ग्रहण के कारण मानसिक चिंताएं बढ़ेंगी व आर्थिक कमजोरी का योग बन रहा है। संयम बनाए रखने की जरूरत है।
मकर- आय के विपरीत खर्च अधिक होगा। शत्रु हावी हो सकता है। घर में टकराव की स्थिति से बचने की कोशिश करें।
कुंभ- आय में वृद्धि के साथ-साथ अपनों से लाभ होगा। इस अवधि में शुभ समाचार भी मिल सकता है।
मीन- बिजनेस में नुकसान हो सकता है। पुराना रोग भी परेशान कर सकता है। गुप्त भय के चलते मानसिक रूप से परेशानी पैदा हो सकती है।

 

 

  • ग्रहण काल से पहले नहाकर साफ कपड़े पहन लें। ग्रहण प्रारंभ होते ही पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं।
  • सामने एक बाजोट (पटिया) रखें। उसके ऊपर एक थाली रखकर उसमें एक अष्टदल बनाएं। इसके ऊपर श्रीयंत्र निर्मित अंगूठी रखें।
  • अब तेल का दीपक जलाकर इस मंत्र की 3 माला जप करें- ऊँ कमलवासिन्ये श्रीं श्रियै ह्रीं नम:
  • इसके बाद दीपक को दूसरे कमरे में ले जाकर रख दें और ग्रहण समाप्ति के पूर्व यह अंगूठी पहन लें। अगले दिन दीपक को बरगद के पेड़ के नीचे रख आएं। इस उपाय से आपका भाग्य उदय हो सकता है।

  • ग्रहण के पहले नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें।
  • ग्रहण काल शुरु होने पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं।
  • अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ऊँ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक शंख थाली में स्थापित करें। अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमलगट्टे की माला से ग्यारह माला जाप करें-

सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।

  • मंत्र जप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।

 

  • ग्रहण काल से पहले नहाकर सफेद रंग के कपड़े पहन लें।
  • इसके बाद ऊन या कुश के आसन पर उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं।
  • अब अपने सामने एक थाली रखें। इसके बाद एक भोजपत्र लें तथा उस पर अपने स्वयं के मकान होने की मनोकामना केसर से लिख कर रख दें।
  • अब 108 बार यह मंत्र बोलें- ऊँ देवोत्थाय नम:
  • अब एक मोती शंख लें और उसे भोज पत्र में लपेट कर घर से दूर किसी वट वृक्ष (बड़ का पेड़) के नीचे रख आएं।