सार
Mahabharata: महाभारत की कथा जितनी विचित्र है, उतनी ही रोचक भी है। लेकिन अधिकांश लोग इस कथा के बारे में पूरी बात नहीं जानते। अर्जुन इस कथा के प्रमुख पात्रों में से एक थे, लेकिन अर्जुन के कितने पुत्र थे, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं।
उज्जैन. पाण्डु पुत्र अर्जुन महाभारत (Mahabharata) के प्रमुख पात्रों में से एक थे। इन्होंने युद्ध में स्वयं भगवान शिव को भी संतुष्ट कर दिया था। श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन स्वर्ग से दिव्यास्त्र लेकर आए ताकि युद्ध में वे कौरवों का पराजित कर सके। अर्जुन ने ही महाभारत (how many sons did arjuna have) युद्ध में सबसे अधिक योद्धाओं का वध भी किया था। अर्जुन के बारे में ये बातें तो अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन उनके कितने पुत्र थे और उनके नाम क्या थे, ये बातें बहुत कम लोगों को पता है। आगे जानिए अर्जुन की कितनी पत्नियां थीं और कितने पुत्र थे…
द्रौपदी से विवाह था पहला विवाह
अर्जुन का पहला विवाह द्रौपदी से स्वयंवर में हुआ था। हालांकि बाद में द्रौपदी पांचों भाइयों की पत्नी बनी। पांचों भाइयों से द्रौपदी को एक-एक पुत्र था। इनमें से अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था। महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद जब द्रौपदी के पांचों पुत्र आराम कर रह थे, उस समय अश्वत्थामा ने उनका वध कर दिया था। श्रुतकर्मा भी उनमें शामिल था।
सुभद्रा से हुआ अभिमन्यु का जन्म
अर्जुन का दूसरा विवाह भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा से हुआ था। वीर अभिमन्यु सुभद्रा का ही पुत्र था। महाभारत के अनुसार, अभिमन्यु चंद्रमा के पुत्र वर्चा का अवतार था। धरती पर अपने पुत्र को भेजने से पहले चंद्रमा ने कहा था कि ”मेरा ये पुत्र अधिक समय तक पृथ्वी पर नही रहेगा और वीरोचित कार्य करते हुए मृत्यु को प्राप्त होकर पुन: मेरे पास आ जाएगा।” ऐसा ही हुआ और अभिमन्यु चक्रव्यूह के अंदर फंसकर मृत्यु को प्राप्त हुआ।
इरावन था तीसरा पुत्र
महाभारत का अनुसार, वनवास के दौरान एक बार जब तालाब में स्नान कर रहे थे, उस समय नागकन्या उलूपी अर्जुन पर मोहित हो गई और उन्हें अपने लोक में ले गई। यहां अर्जुन और उलूपी का विवाह हुआ, जिससे इरावन का जन्म हुआ। लोक मान्यता के अनुसार महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले जब देवी को बलि चढ़ाने की बात आई तो इरावन ने अपना बलिदान दे दिया ताकि पांडवों को विजय प्राप्त हो।
अर्जुन का चौथा पुत्र था बभ्रुवाहन
वनवास के दौरान घूमते हुए जब अर्जुन मणिपुर राज्य पहुंचें तो वहां की राजकुमारी चित्रागंदा उन पर मोहित हो गई। अर्जुन ने उनसे विवाह किया, जिससे बभ्रुवाहन का जन्म हुआ। महाभारत युद्ध के बाद जब राजा युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया तो उसका रक्षक अर्जुन को बनाया। जब ये घोड़ा मणिपुर पहुंचा तो वहां बभ्रुवाहन और अर्जुन का भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें अर्जुन की मृत्यु हो गई। बाद में नागकन्या उलूपी ने अपनी दिव्य मणि से अर्जुन को पुन:र्जीवित कर दिया। बभ्रुवाहन पूरा जीवन मणिपुर का ही राजा रहा।
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