सार

Hindu Tradition: हिंदू धर्म में 16 संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जो इन्हें खास बनाती हैं। हिंदू धर्म में मृत्यु को भी संस्कार में शामिल किया गया है, इसे अंतिम संस्कार कहा जाता है।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म के अंतर्गत जब किसी की मृत्यु होती है तो शव के दाह संस्कार के दौरान अनेक परंपराएं निभाई जाती है। जैसे मृतक के शरीर को एक विशेष दिशा में रखा जाता है, उसके सिरहाने शुद्ध घी का दीपक जलाया जाता है। (Hindu Tradition) शव को अकेला भी नहीं छोड़ा जाता। इन सभी परंपराओं के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक या मनोवैज्ञानिक कारण छिपा होता है। ऐसी ही एक परंपरा ये भी है कि शवयात्रा के दौरान परिवार का कोई एक सदस्य आगे-आगे मटकी लेकर चलता है जो एक पतली रस्सी से बंधी हुई होती है। ऐसा क्यों किया जाता है और उस मटकी में क्या होता है, आगे जानिए…


मृत्यु के तुरंत बाद किया जाता है ये काम
जैसे ही किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके घर के बाहर एक कंडा जला दिया जाता है, जो शवयात्रा शुरू होने से पहले तक धीरे-धीरे सुलगता रहता है। अंतिम यात्रा शुरू होने से ठीक पहले एक छोटी सी मटकी में इस जलते हुए कंडे को रख दिया जाता है और इस मटकी को रस्सी से इस तरह लटका दिया जाता है कि इसे आसानी से पकड़ा जा सके। परिवार का कोई सदस्य इस मटकी को शवयात्रा के आगे लेकर चलता है।
  
इसी अग्नि से होता है अंतिम संस्कार
जब शवयात्रा अपने नियत स्थान पर पहुंचती है तो कुछ जरूरी परंपराएं पूरी करने के बाद मृतक के शव को चिता पर लेटाया जाता है और फिर मटकी में रखे सुलगते हुए कंडे से घास पर रखा जाता है। थोड़ी ही देर में घास आग पकड़ लेती है और उसी अग्नि से मृतक का दाह संस्कार संपन्न किया जाता है। इस परंपरा से आशय है कि घर से लाई गई अग्नि से ही मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है। 


घर की अग्नि से ही अंतिम संस्कार क्यों?
पुरातन समय में विवाह के समय वर-वधू जिस अग्नि के फेरे लेते थे, उसी अग्नि को घर में स्थापित कर अपने होम, पूजन आदि कर्म करते थे। मृत्यु के बाद इसी अग्नि से उनका अंतिम संस्कार करने की प्रथा थी, जो धीरे-धीरे विलुप्त हो गई। उसी प्रथा को ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार के लिए घर से ही अग्नि ले जाई जाती है और शव का दाह संस्कार किया जाता है। मृत्यु के साथ ही व्यक्ति स्वयं इस अंतिम यज्ञ में होम हो जाता है। 


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