सार

पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष (Hindu New Year 2022) का आरंभ होता है। इस बार ये तिथि 2 अप्रैल, शनिवार को है। महाराष्ट्रीय परिवारों में ये उत्सव गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं।

उज्जैन. गुड़ी पड़वा (gudi padwa 2022) पर गुड़ी की पूजा की जाती है और पूरन पोली विशेष रूप से खाई जाती है। एक और परंपरा इस त्योहार से जुड़ी हैं, वो है नीम की पत्तियां चबाने की। ये बहुत ही प्राचीन परंपरा है, जिसे आज भी निभाया जाता है। इस परंपरा के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य छिपे हैं। आयुर्वेद में भी नीम को बहुत ही उपयोगी माना गया है। इसे चबाने से बहुत से फायदे हो सकते हैं। आगे जानिए गुड़ी पड़वा से जुड़ी इस परंपरा की वजह… 

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इसलिए गुड़ी पड़वा पर खाई जाती हैं नीम की पत्तियां
- चैत्र नवरात्रि दो ऋतुओं (शीत और ग्रीष्म) के संधिकाल में आती है। इस समय शरीर की इम्युनिटी पॉवर आमतौर पर थोड़ी कम होती है, जिसके कारण वायरस से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
- गुड़ी पड़वा पर या चैत्र नवरात्रि के दौरान यदि नीम की पत्तियों का सेवन किया जाए तो इम्युनिटी पॉवर बढ़ती है, जिससे हमें रोगों से बढ़ने की शक्ति मिलती है।
- आयुर्वेद में नीम को कई बीमारियों के लिए रामबाण माना गया है। इसकी पत्तियों का सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो मौसमी बीमारियां, स्किन संबंधी समस्याएं, कफ आदि में लाभ मिलता है।
- नीम में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, खनिज तत्व जैसे कैल्शियम, लोहा, विटामिन ए और सी आदि होते हैं।
- ये सभी तत्व हमें बीमार करने वाले रोगाणुओं की रोकथाम करते हैं। हमारी इम्युनिटी बढ़ाते हैं, जिससे वायरल बुखार से लड़ने की शक्ति शरीर को मिलती है।
- ऋतुओं का संधिकाल होने की वजह से इन बीमारियों से बचाव हो सके हो सके, इसलिए नीम का सेवन करने की परंपरा प्रचलित है।
- इन दिनों में शरीर स्वस्थ रहेगा तो पूजा-पाठ में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। कोरोना काल में भी ये परंपरा हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।
- यही कारण है कि हमारे बुजुर्गों और ऋषि-मुनियों ने गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियां खाने की परंपरा बनाई।

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