सार
दशहरे (15 अक्टूबर, शुक्रवार) पर पूरे देश में भगवान श्रीराम की पूजा कर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश में एक जगह ऐसी भी है जहां दशहरे (Dussehra 2021) पर रावण की पूजा की जाती है।
उज्जैन. मध्य प्रदेश के विदिशा से 35 किलोमीटर दूर स्थित नटेरन तहसील का रावण गांव। यहां के लोग रावण को देवता मानकर उसकी पूजा करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यहां रावण (Ravana) को बाबा कहा जाता है। गांव की विवाहित महिलाएं जब इस मंदिर के सामने निकलती हैं तो घूंघट कर लेती हैं।
यहां है रावण (Ravana) की लेटी हुई प्रतिमा
इस गांव में स्थित एक मंदिर में रावण की लेटी हुई अवस्था में वर्षों पुरानी विशाल प्रतिमा है। गांव के लोग मंदिर में रावण के दर्शन और पूजा करने प्रत्येक दिन आते हैं। इतना ही नहीं गांव में हर शुभ कार्य की शुरुआत रावण की पूजा से ही होती है। गांव में किसी की शादी हो तो भी पहला निमंत्रण रावन बाबा को ही दिया जाता है और इसकी शुरुआत प्रतिमा की नाभि में तेल भर की जाती है।
ये है मान्यता
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि रावन बाबा के मंदिर से उत्तर दिशा में 3 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी है। जिसमें त्रेतायुग में एक राक्षस रहता था। वह रावण से युद्ध करने की चाह लेकर लंका जाता और वहां जाकर उसका मन शांत हो जाता। एक दिन रावण ने उस राक्षस से पूछा कि- तुम लंका में क्यों आते हो और हर बार बिना कुछ बताये चले जाते हो। तब उस राक्षस ने कहा कि- महाराज में हर बार आप से युद्ध की चाह लेकर आता हूं परन्तु यहां आपको देख कर मेरा क्रोध शांत हो जाता है। तब रावण (Ravana) ने कहा कि तुम वहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना। तब से यह प्रतिमा यहीं पर बनी हुई है। लोगों ने इस प्रतिमा की महिमा को देखते हुए वहां मंदिर बना दिया।
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