सार

Dhanteras 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था, जिसमें से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले थे। इसके अलावा भी समुद्र में से कई चीजें निकली थीं। इनमें से कुछ देवताओं के पास चली गई तो कुछ असुरों ने अपने पास रख ली।  
 

उज्जैन. इस बार 24 अक्टूबर, शनिवार को धनतेरस (Dhanteras 2022) का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष रूप से की जाती है। कथाओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनसे पहले 12 रत्न निकल चुके थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि देवताओं और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन क्यों किया और उसमें से क्या-क्या रत्न निकले। आज हम आपको समुद्र मंथन की पूरी कथा व उसमें से निकलने वाले रत्नों के बारे में बता रहे हैं-

ये है समुद्र मंथन की कथा (Samudra Manthan Katha)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा ने इंद्र को अपने सुंगधित माला उपहार में दी। इंद्र ने वह माला अपने हाथी को पहना दी। हाथी ने उस माला को तोड़कर फेंक दिया। अपने दिए उपहार का इस प्रकार अपमान होता देख महर्षि दुर्वासा ने स्वर्ग को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया, जिसके कारण स्वर्ग का वैभव और ऐश्वर्य समाप्त हो गया। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई। भगवान विष्णु ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का उपाय सूझाया और कहा कि समुद्र मंथन से अमृत भी निकलेगा, जिसे पीकर तुम अमर हो जाओगे। जब ये बात देवताओं ने असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा गया। इस प्रकार समुद्र मंथन से एक-एक करके 14 रत्न निकले। आगे जानिए इन रत्नों के बारे में…

1. कालकूट विष: समुद्र मंथन में से सबसे पहले कालकूट विष निकला। भगवान शिव ने इस विष को पीकर अपने गले में स्थिर कर लिया, जिसके कारण उनका गला नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए।

2. कामधेनु: समुद्र मंथन में दूसरे क्रम में निकली कामधेनु। वह अग्निहोत्र (यज्ञ) की सामग्री उत्पन्न करने वाली थी। इसलिए ब्रह्मवादी ऋषियों ने उसे ग्रहण कर लिया। 

3. उच्चैश्रवा घोड़ा: इसके बाद समुद्र को मथने पर उच्चैश्रवा घोड़ा निकला। इसका रंग सफेद था। इसे असुरों के राजा बलि ने अपने पास रख लिया। 

4. ऐरावत हाथी: समुद्र मंथन में चौथे नंबर पर ऐरावत हाथी निकला, उसके चार बड़े-बड़े दांत थे। उनकी चमक कैलाश पर्वत से भी अधिक थी। ऐरावत हाथी को देवराज इंद्र ने रख लिया। 

5. कौस्तुभ मणि: इसके बाद भी समुद्र को लगातार मथने से कौस्तुभ मणि निकली, जिसे भगवान विष्णु ने अपने ह्रदय पर धारण कर लिया। 

6. कल्पवृक्ष: समुद्र मंथन में छठे क्रम में निकला इच्छाएं पूरी करने वाला कल्पवृक्ष, इसे देवताओं ने स्वर्ग में स्थापित कर दिया। 

7. रंभा अप्सरा: समुद्र मंथन में सातवे क्रम में रंभा नामक अप्सरा निकली। वह सुंदर वस्त्र व आभूषण पहने हुई थीं। उसकी चाल मन को लुभाने वाली थी। ये भी देवताओं के पास चलीं गई। 

8. देवी लक्ष्मी: समुद्र मंथन में आठवे स्थान पर निकलीं देवी लक्ष्मी। असुर, देवता, ऋषि आदि सभी चाहते थे कि लक्ष्मी उन्हें मिल जाएं, लेकिन लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण कर लिया। 

9. वारुणी देवी: इसके बाद समुद्र मंथन से निकली वारुणी देवी, भगवान की अनुमति से इसे दैत्यों ने ले लिया। वारुणी का अर्थ है मदिरा यानी नशा। 

10. चंद्रमा: फिर समुद्र मंथन से निकले चंद्रमा। चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण कर लिया।

11. पारिजात वृक्ष: इसके बाद समुद्र मंथन से पारिजात वृक्ष निकला। इस वृक्ष की विशेषता थी कि इसे छूने से थकान मिट जाती थी। यह भी देवताओं के हिस्से में गया। 

12. पांचजन्य शंख: समुद्र मंथन से 12वें स्थान पर निकला पांचजन्य शंख। इसे भगवान विष्णु ने ले लिया। शंख को विजय का प्रतीक माना गया है साथ ही इसकी ध्वनि भी बहुत ही शुभ मानी गई है।

13 व 14. भगवान धन्वंतरि व अमृत कलश: समुद्र मंथन से सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले। भगवान धन्वंतरि स्वयं व अमृत कलश भी रत्नों में शामिल हैं।


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